शारदीय नवरात्रि 2022 : हिन्दू धर्म में उपवास का बहुत महत्व है। वर्ष में होती हैं चार नवरात्रियां : 1.चैत्र (वसंत), 2.आषाढ़ (गुप्त), 3.अश्विन (शारदीय) और 4.पौष (गुप्त)। चारों नवरात्रियों में उपवास या व्रत रखने का खास महत्व है। आखिर क्यों रखते हैं व्रत? क्या है इसके पीछे का साइंस? आओ जानते हैं उपवास के इस रहस्य को।
हम नवरात्रि में उपवास क्यों करते हैं | Why do we fast in Navratri :
1. सेहत के लिए : इन 9 दिनों में प्रकृति में बदलाव होते हैं। नवरात्रि का समय ऋतु परिवर्तन का समय है। सर्दी और गर्मी की इन दोनों महत्वपूर्ण ऋतुओं के मिलन या संधिकाल को नवरात्रि का नाम दिया। इस दौरान उपवास करने से व्यक्ति कई तरह के रोगों से बच जाता है। ऐसे समय हमारी आंतरिक चेतना और शरीर में भी परिवर्तन होता है। ऋतु-प्रकृति का हमारे जीवन, चिंतन एवं धर्म में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रहा है। यदि आप उक्त नौ दिनों अन्य का त्याग कर भक्ति करते हैं तो आपका शरीर और मन पूरे वर्ष स्वस्थ और निश्चिंत रहता है।
2. शक्ति पूजा के लिए : पार्वती, शंकर से प्रश्न करती हैं कि "नवरात्र किसे कहते हैं!" शंकर उन्हें प्रेमपूर्वक समझाते हैं- नव शक्तिभि: संयुक्त नवरात्रं तदुच्यते, एकैक देव-देवेशि! नवधा परितिष्ठता। अर्थात् नवरात्र नवशक्तियों से संयुक्त है। इसकी प्रत्येक तिथि को एक-एक शक्ति के पूजन का विधान है।
3. नौ दिन रखें संयम : इन दिनों में मद्यमान, मांस-भक्षण और स्त्रिसंग शयन नहीं करना चाहिए। उपवास में रहकर इन नौ दिनों में की गई हर तरह की साधनाएं और मनकामनाएं पूर्ण होती है। लेकिन जो व्यक्ति इन नौ दिनों में पवित्र नहीं रहता है उसका बुरा वक्त कभी खत्म नहीं होता है।
4. पवित्र हैं ये रात्रियां : नवरात्र शब्द से 'नव अहोरात्र' अर्थात विशेष रात्रियों का बोध होता है। इन रात्रियों में प्रकृति के बहुत सारे अवरोध खत्म हो जाते हैं। दिन की अपेक्षा यदि रात्रि में आवाज दी जाए तो वह बहुत दूर तक जाती है। इसीलिए इन रात्रियों में सिद्धि और साधना की जाती है। इन रात्रियों में किए गए शुभ संकल्प सिद्ध होते हैं। इसीलिए व्रत भी रखे जाते हैं।
5. शरीर के 9 छिद्रों को रखें शुद्ध : हमारे शरीर में 9 छिद्र हैं। दो आंख, दो कान, नाक के दो छिद्र, दो गुप्तांग और एक मुंह। नवरात्रि में शुद्ध जल और मन के द्वारा उक्त अंगों को पवित्र और शुद्ध करेंगे तो मन निर्मल होगा और छठी इंद्री को जाग्रत करेगा। नींद में यह सभी इंद्रियां या छिद्र लुप्त होकर बस मन ही जाग्रत रहता है।