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Shardiya Navratri 2023: भंडारे में खाना खाना चाहिए या नहीं?

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हमें फॉलो करें Should Bhandara be eaten or not
Bandara:  भंडरे का आयोजित करने के कई कारण होते हैं जिसमें से दो मुख्य कारण है धर्मार्थ और दूसरा समाजिक। धर्मार्थ के अंतर्गत किसी मंदिर में नवरात्रि या गणेश उत्सव पर भंडारे का आयोजन किया जाता है और इसी तरह गुरुद्वारा में लंगर चलता रहता है। दूसरा सामाजिक है जबकि गरीबों को भोजन कराना होता है या किसी प्राकृतिक आपना या अन्य कारण से बेघर लोगों को भोजन कराना होता है।
 
धर्मार्थ : धर्मार्थ आयोजित भंडारा को प्रसाद कहते हैं। मंदिर में देव प्रसाद और गुरुद्वारा में गुरु प्रसाद मिलता है। इसका सेवन किया जा सकता है। मंदिर या गुरुद्वारा में यात्री, संन्यासी, धर्मयोद्धा और उस व्यक्ति के लिए भंडारे का आयोजन होता है प्रतिदिन भोजन की व्यवस्था करने में असमर्थ हैं या जिनके पास भोजन नहीं है।
 
सामाजिक : हमारे देश में प्राकृतिक आपदाओं, जातीय हिंसा, आंदोलन आदि के चलते कई संस्थाएं भंडारे का आयोजन करती हैं या पीड़ित व्यक्ति तक भोजन पहुंचाया जाता है।
Should Bhandara be eaten or not
समर्थ व्यक्ति को नहीं करना चाहिए भंडारे में भोजन : अधिकतर भंडरा गरीबों और असमर्थ लोगों के लिए आयोजित किया जाता है। यदि समर्थ व्यक्ति भोजन करना है तो यह नैतिक रूप से ठीक नहीं। शास्त्रों में कहा गया है कि गरीबों के लिए यदि भोजन भंडारा रखा गया है तो समर्थ यदि उसमें भोजन करता है तो उस पर श्रीहरि विष्णु की कृपा नहीं होती है। समर्थ व्यक्ति धर्मार्थ भंडारा किसी कारण वश करता है तो उसे दान भी देना चाहिए। धर्मार्थ भंडरे को प्रसाद रूप में ग्रहण किया जा सकता है। ऐसी भी मान्यता है कि किसी सक्षम व्यक्ति के भंडारे में रखा अन्न खाने से देवी लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं।
 
भंडारे का निमित्त जानें : कई सक्षम लोग माता की पूजा के बाद ब्राह्मण भोज के साथ ही भंडारे का आयोजन कराते हैं जिसमें सभी तरह के लोग भोजन करते हैं। गरीब और अमीर के साथ ही किसी भी प्रकार का उमें जातिभेद नहीं रहता है। भंडारे हमारी सामाजिक एकाता का प्रतीक भी है। अत: भंडारे का निमित्त जानकर ही भंडारे का आयोजन कराने और भंडारे में भोजन करने के बारे में सोचना चाहिए।
 

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