लखनऊ। उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल करने के बाद मुख्यमंत्री के ऐलान को लेकर करीब एक हफ्ते का इंतजार शनिवार शाम खत्म हो गया और विधायक दल की बैठक में गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ को अप्रत्याशित रूप से प्रदेश का नया मुख्यमंत्री चुन लिया गया।
प्रदेश में पार्टी के पर्यवेक्षक नियुक्त किये गये केंद्रीय मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने विधायक दल की बैठक के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात का ऐलान करते हुए बताया कि पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष लखनऊ के महापौर डॉक्टर दिनेश शर्मा और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सांसद केशव प्रसाद मौर्य को उपमुख्यमंत्री बनाया है।
यह दिलचस्प है कि इन तीनों को ही न तो राज्य में और न ही केन्द्र में मंत्री पद का अनुभव है। ये तीनों राज्य विधानमण्डल के किसी भी सदन के सदस्य भी नहीं हैं। ऐसा पहली बार हुआ है, जब उत्तर प्रदेश में दो उपमुख्यमंत्री बनाए गए हैं। नायडू ने बताया कि वरिष्ठ विधायक सुरेश खन्ना ने मुख्यमंत्री के तौर पर योगी आदित्यनाथ के नाम का प्रस्ताव रखा।
स्वामी प्रसाद मौर्य समेत 11 लोगों ने प्रस्ताव का अनुमोदन किया, जिसके बाद सभी विधायकों ने खड़े होकर प्रस्ताव का समर्थन किया। उन्होंने विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिले दो तिहाई बहुमत को जाति तथा धर्म आधारित राजनीति और भ्रष्टाचार के खिलाफ जनादेश करार देते हुए कहा कि भाजपा का मुख्य एजेंडा तीव्र विकास और सुशासन होगा।
नायडू ने बताया कि विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद आदित्यनाथ ने विधायकों को धन्यवाद देते हुए कहा कि इतनी बड़ी जिम्मेदारी को संभालने के लिए उन्हें दो वरिष्ठ नेताओं का सहयोग दिया जाए। इस बारे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह तथा अन्य वरिष्ठ नेताओं से बात की गई।
इसमें केशवप्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा को उपमुख्यमंत्री बनाने का निर्णय लिया गया। हम अभी राज्यपाल के पास जाकर सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे। नायडू ने बताया कि कल होने वाले शपथग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ-साथ केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी हिस्सा लेंगे। इसके अलावा आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंदबाबू नायडू, जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती समेत भाजपा तथा राजग शासित राज्यों के मुख्यमंत्री शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत करेंगे।
कट्टर हिन्दुत्ववादी नेता की छवि रखने वाले आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश में भाजपा के चौथे और कुल 21वें मुख्यमंत्री होंगे। इससे पहले कल्याणसिंह, रामप्रकाश गुप्ता तथा राजनाथसिंह प्रदेश की भाजपा सरकारों में मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इनमें से कल्याण सिंह दो बार मुख्यमंत्री रहे हैं।
इसके पूर्व भाजपा राज्य मुख्यालय में बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं ने अपने-अपने नेता को मुख्यमंत्री बनाने की मांग को लेकर नारेबाजी की। इनमें भाजपा प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य, योगी आदित्यनाथ के साथ-साथ कल्याण सिंह के भी समर्थक शामिल थे।
इस बीच राज्य के मुख्य विपक्षी दल सपा के राष्ट्रीय महासचिव नरेश अग्रवाल ने कहा कि उनकी पार्टी छह महीने तक प्रदेश की भाजपा सरकार का कामकाज देखेगी। उन्होंने कहा कि अगर केन्द्र ने योगी आदित्यनाथ के जरिए प्रदेश में साम्प्रदायिकता फैलाने की कोशिश की तो हम छ: महीने का समय नहीं देखेंगे। प्रदेश में साम्प्रदायिक सौहार्द बनाए रखना सपा का संकल्प है, इसके लिये हम कुछ भी कुर्बानी देंगे।
आदित्यनाथ के पिता आनन्द सिंह ने अपने पुत्र के मुख्यमंत्री बनाये जाने पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि आदित्यनाथ को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सबका साथ सबका विकास की तर्ज पर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी समस्या गुंडागर्दी है। उसे खत्म करना होगा। उम्मीद है कि आदित्यनाथ ऐसे तत्वों के खिलाफ कठोर निर्णय लेंगे।
इतिहास पर नजर डालें तो कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री बने थे। उन्होंने 24 जून 1991 से छ: दिसम्बर 1992 तक सरकार चलाई। वह राम मंदिर आंदोलन के दौरान पहली बार बहुमत पाई भाजपा की सरकार थी, मगर अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाए जाने के बाद उनकी सरकार बर्खास्त कर दी गई थी। उसके बाद वे 21 सितंबर 1997 से 12 नवम्बर 1999 तक इस पद पर रहे। राज्य में नेतृत्व परिवर्तन के बाद रामप्रकाश गुप्ता कल्याण सिंह के स्थान पर प्रदेश की भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री बने। हालांकि वे भी करीब छ: महीने ही इस पद पर रहे। उनके बाद भाजपा सरकार के बाकी के कार्यकाल में राजनाथसिंह करीब एक साल चार महीने तक मुख्यमंत्री रहे।
हालांकि भाजपा का कोई भी मुख्यमंत्री पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है। इसमें कल्याणसिंह ने अपने दूसरे कार्यकाल में सबसे ज्यादा करीब दो साल दो महीने सरकार चलाई। इसके अलावा राम प्रकाश गुप्ता 351 दिन और राजनाथ सिंह एक साल और करीब चार महीने तक मुख्यमंत्री रहे।
प्रदेश में अब तक सिर्फ अखिलेश यादव ही मुख्यमंत्री के तौर पर पांच साल का कार्यकाल पूरा कर सके हैं। बहरहाल, इस बार भाजपा ने पहली बार तीन चौथाई बहुमत हासिल किया है और माना जा रहा है कि इस सरकार का मुख्यमंत्री पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाला भाजपा का पहला मुख्यमंत्री होगा।