लखनऊ। गोरखपुर के बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मृत्यु से आहत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट कहा है कि ऑक्सीजन की कमी से मृत्यु को वह जघन्य कृत्य मानते हैं और इस मामले में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।
योगी ने आज यहां आनन-फानन में बुलाए संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यद्यपि गोरखपुर में ऑक्सीजन की कमी से किसी बच्चे की मृत्यु नहीं हुई है लेकिन वह मानते हैं कि किसी मरीज की ऑक्सीजन की कमी से मृत्यु होने को वह जघन्य कृत्य मानते हैं।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य मामले में दोषी पाए गए हैं इसलिए उन्हें निलम्बित कर दिया गया है। उनके खिलाफ अन्य विभागीय कार्रवाई भी की जा रही है। उन्होंने मीडिया से कहा कि मामला संवेदनशील है, इसलिए सही तथ्य दिखाए या प्रकाशित किए जाएं। हालांकि उन्होंने मामले को उठाने के लिए मीडिया के प्रति आभार भी प्रकट किया।
उन्होंने कहा कि गोरखपुर की खबरों को पढ़कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी चिंतित हुए हैं, इसीलिए उन्होंने केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल को यहां भेजा है। मोदी ने आश्वस्त किया है कि धन की कमी की वजह से किसी की जान नहीं जाने दी जाएगी। उन्होंने कहा कि आंकडों का सही प्रकाशन होना चाहिए। सात अगस्त को नौ, आठ अगस्त को 12, नौ अगस्त को नौ, दस अगस्त को 23 और 11 अगस्त को सात बच्चों की मृत्यु हुई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिलाधिकारी को मजिस्ट्रेटियल जांच कराने के आदेश दिए गए थे। जांच रिपोर्ट देर रात तक आ जाएगी। उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में भी जांच कमेटी गठित की गई है। यह कमेटी एक सप्ताह में अपनी रिपोर्ट देगी।
उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित होने पर सप्लायर की भूमिका की जांच की जाएगी, क्योंकि इमरजेंसी सेवाओं में और विकास कार्यों में व्यवधान नहीं आना चाहिए। पत्रावली तीन दिन से अधिक कहीं नहीं रुकनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनी कमेटी ऑक्सीजन के सप्लायर की भूमिका की जांच करेगी। अखिलेश यादव सरकार ने 2014 में इस कम्पनी को आठ साल के कॉन्ट्रेक्ट पर ऑक्सीजन आपूर्ति का ठेका दिया था।
इस अवसर पर श्रीमती पटेल ने कहा कि घटना से प्रधानमंत्री दुखी हैं। प्रधानमंत्री ने विशेष रुप से उन्हें भेजा है। मुख्यमंत्री ने इस विषय पर आपात बैठक बुलाकर घटनाओं की सिलसिलेवार जानकारी दी है। केन्द्र को भी रिपोर्ट भेजी जा रही है।
स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने 2014 से 2017 तक अगस्त में होने वाली मौतों का सिलसिलेवार ब्यौरा दिया और बताने की कोशिश की कि अगस्त में औसतन इतनी मृत्यु हो ही जाती है। उनका दावा था कि ऑक्सीजन की कमी से कोई मृत्यु नहीं हुई लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि 10 अगस्त को शाम 7.30 बजे से लिक्विड ऑक्सीजन की आपूर्ति का प्रेशर कम था और 11.30 बजे से 1.30 बजे तक आपूर्ति बाधित रही।
चिकित्सा शिक्षामंत्री आशुतोष टण्डन ने बताया कि पांच अगस्त को दो करोड़ रुपए मेडिकल कॉलेज भेजा गया था। आपूर्तिकर्ता का मात्र 68 लाख 65 हजार 596 रुपए बकाया था। प्रधानाचार्य ने भुगतान करने में देरी की। पांच अगस्त को पैसा चला गया तो 11 अगस्त को क्यों भुगतान किया गया, इसीलिए प्रधानाचार्य राजीव मिश्रा को निलम्बित किया गया। नौ अगस्त को प्रधानाचार्य भुगतान करने के पहले ऋषिकेश चले गए और वे कल लौटकर आए, इसलिए उनका निलम्बन जरुरी हो गया था। (वार्ता)