Real trouble of Delhiites has increased Now: राष्ट्रीय राजधानी की यमुना नदी में हाल ही में आई बाढ़ के बाद तंबुओं में रह रहे हजारों लोगों के लिए घर लौटने में सबसे बड़ी बाधा अब पानी नहीं, बल्कि वहां जमी गाद है, जिसे साफ करना होगा और जीवन को फिर से शुरू करने के लिए घर के सूखने का इंतजार करना होगा।
घाट संख्या 28 निवासी दिहाड़ी मजदूर विनोद (47) एक महीने से अधिक समय से अपने घर से दूर हैं। उन्होंने कहा कि हमारे घर में बहुत गाद जम गई है। हमें पहले उसे पूरी तरह से हटाना होगा और फिर कुछ दिनों के लिए घर को खाली छोड़ देना होगा, ताकि वह सूख जाए। उसके बाद ही हम वापस जा सकते हैं। अपनी पत्नी और छह बच्चों के साथ यमुना बाजार राहत शिविर में रह रहे विनोद ने कहा कि उनके बच्चे एक महीने से अधिक समय से स्कूल और कॉलेज नहीं जा पा रहे हैं।
बच्चों की पढ़ाई पर असर : उन्होंने कहा कि हमारे बच्चे राहत शिविरों में हमारे सामान की देखभाल और सुरक्षा करने में मदद करते है, जबकि मैं और मेरी पत्नी काम पर या गाद साफ़ करने बाहर जाते हैं। हमारे घर वापस आने के बाद ही वे अपनी पढ़ाई फिर से शुरू कर पाएंगे।
घाट संख्या 27 की नीलम देवी (45) ने भी ऐसी ही परेशानियों का जिक्र करते हुए कहा कि गाद साफ करने में कई घंटे लग जाते हैं। हमारे पास मदद लेने के लिए पैसे नहीं हैं। गाद निकल जाने के बाद भी हमें घर को सुखाने की जरूरत होती है और यह पूरी तरह मौसम पर निर्भर करता है।
इस बीच, ममता ने कहा कि स्थिति बहुत ज़्यादा थकाऊ हो गई है। ममता (20) ने कहा कि तीन सप्ताह से ज़्यादा हो गए हैं। हम बस अपने घर वापस जाना चाहते हैं। यहां तंबुओं में आपको कोई युवक नहीं मिलेगा। वे सभी दिन में अपने घरों की सफाई करने जाते हैं। जहां एक ओर लोग अपने घर वापस जाने के वास्ते गहन प्रयास करने के लिए तैयार हैं, तो वहीं दूसरी ओर यमुना का जलस्तर भी धीरे-धीरे कम होता नजर आ रहा है। अधिकारियों ने बताया कि पुराने रेलवे पुल पर जलस्तर सोमवार को अपराह्न दो बजे घटकर 205.22 मीटर रह गया, जो एक दिन पहले के खतरे के निशान 205.33 मीटर से थोड़ा कम है।
10000 लोग शिविरों में : बाढ़ नियंत्रण बुलेटिन के अनुसार, पिछले बृहस्पतिवार को यमुना का जलस्तर 207.48 मीटर था, जो इस मौसम में सबसे अधिक है, लेकिन आज रात 8 बजे तक इसके 205.02 मीटर तक पहुंचने की संभावना है। यमुना नदी के लिए चेतावनी स्तर 204.50 मीटर, खतरे का निशान 205.33 मीटर निर्धारित है, जबकि जल स्तर 206 मीटर पहुंचने पर लोगों को निकालकर दूसरे स्थानों पर पहुंचाना शुरू कर दिया जाता है। पिछले मंगलवार को नदी ने खतरे के स्तर को पार कर लिया था, जिसके चलते मठ बाजार, मदनपुर खादर, यमुना बाजार और मयूर विहार के कुछ हिस्सों सहित निचले इलाकों से लगभग 10,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। विस्थापित परिवारों के अस्थायी रूप से रहने के लिए दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे, मोरी गेट के पास और मयूर विहार में तंबू लगाए गए हैं।
दिल्ली को वर्ष 2023 में बाढ़ की गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ा था। उस दौरान 13 जुलाई को यमुना नदी का जलस्तर अब तक के सर्वोच्च स्तर 208.66 मीटर तक पहुंच गया था, जिससे शहर के बड़े हिस्से जलमग्न हो गए और 25000 से अधिक लोगों को राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी। (एजेंसी/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala