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बाबरी फैसले का असर: क्या अब काशी-मथुरा को लेकर तेज होगा आंदोलन ?

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विकास सिंह

, बुधवार, 30 सितम्बर 2020 (14:38 IST)
बाबरी विध्वंस केस में 28 साल बाद लखनऊ की सीबीआई अदालत ने सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में सभी आरोपियों को बरी करते हुए कहा कि जो कुछ हुआ वह अचानक हुआ और घटना नियोजित नहीं थी। केस की सुनवाई के दौरान सीबीआई कोर्ट में कोई साक्ष्य भी नहीं पेश कर पाई। कोर्ट ने अपने फैसले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह,विनय कटियार,जयभान सिंह पवैया और उमा भारती समेत सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया। 
बाबरी केस में आरोपों से बरी होने के बाद आचार्य धमेंद्र ने कहा कि जितने भी दाग है,उनको साफ करेंगे। कोर्ट परिसर के बाह उन्होंने नारा लगाते हुए कहा यह तो पहली झांकी है,काशी मथुरा बाकी है। वहीं राममंदिर आंदोलन से जुड़े रहे और हिंदुत्व के फायर ब्रांड नेता विनय कटियार पहले ही कह चुके है कि अयोध्या के बाद अब काशी-मथुरा हमारे एजेंडे में हैं। 
 
28 साल बाद आए सीबीआई कोर्ट के इस फैसले को लेकर अयोध्या मामले को लंबे समय से कवर कर रहे वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि सीबीआई कोर्ट के इस फैसले के कई दूरगामी परिणाम होंगे। अयोध्या में राममंदिर के शिलान्यास के बाद जिस तरह अचानक से काशी,मुथरा को लेकर आवाज उठने लगी है अब उस आंदोलन या दूसरे शब्दों में कहे उसकी मुहिम और तेज हो जाएगी। वहीं आज आए कोर्ट के फैसले से रूल ऑफ लॉ (Rule of law) को लेकर भी कई तरह के सवाल खड़े हो रहे है। वहीं कोर्ट के फैसले के बाद बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी कहते हैं कि वह फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे। 
मथुरा पर आज से सुनवाई होगी शुरु- यह भी अजब संयोग है कि आज जब बाबरी विध्वंस केस में कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आया है तब मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई होगी। श्रीकृष्ण जन्मभूमि को लेकर मथुरा की एक अदालत में दायर याचिका में श्रीकृष्ण जन्मभूमि के परिसर की 13.37 एकड़ जमीन का मालिकाना हक मांगा गया है। इसके साथ ही मंदिर स्थ से ईदगाह मस्जिद को हटाने की अपील की गई है। इस याचिका में जमीन को लेकर 1968 के समझौते को गलत बताया गया है। वहीं काशी को लेकर भी कोर्ट में दायर याचिका पर तीन अक्टूबर को सुनवाई होगी। 

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