Amarnath Yatra : खुफिया अधिकारियों द्वारा आने वाले दिनों में जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे और दक्षिण कश्मीर में आतंकी हमले होने की चेतावनी दिए जाने के बाद अधिकारियों की परेशानी बढ़ गई है। इस चेतावनी में कहा जा रहा है कि आतंकी हाइब्रिड आतंकियों का सहारा लेकर स्टिकी बमों का इस्तेमाल कर सकते हैं और ड्रोन हमलों को भी अंजाम दे सकते हैं। यही कारण है कि में अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा अभी से चिंता का कारण बनने लगी है।
अतः इसे फूल प्रूफ बनाने को सेना भी पूरी तरह से मैदान में उतरने की तैयारी में है। उसका सारा जोर नेशनल हाईवे तथा दक्षिण कश्मीर में होगा जहां अमरनाथ यात्रा में शामिल होने वाले लाखों श्रद्धालु आएंगें और चिंता की बात यह है कि अमरनाथ यात्रा की शुरूआत से पहले हमेशा आतंकी हमलों, आतंकी गतिविधियों तथा पत्थरबाजों का गढ़ भी हमेशा दक्षिण कश्मीर ही रहा है।
इस संबध में शनिवार को हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में इसके प्रति चिंता प्रकट की गई कि आतंकी स्टिकी बमों का इस्तेमाल श्रद्धालुओं को नुकसान पहुंचाने के लिए कर सकते हैं और ऐसे में स्टिकी बमों के प्रति सबको सचेत करने की कवायद आरंभ की गई है।
इस बैठक में कश्मीर के पुलिस प्रमुख विजय कुमार ने सभी एजेंसियों से आयोजन के सफल आयोजन के लिए समन्वित तरीके से काम करने को कहा। 4 घंटे से अधिक चली बैठक में सेना के जीओसी विक्टर फोर्स, आईजी सीआरपीएफ, आईजी बीएसएफ, जेडीआईबी, सेना के सभी 5 सेक्टर कमांडर, डीआईजी पुलिस, डीआईजी सीआरपीएफ, एसएसबी, आईटीबीपी, सीआईडी और दक्षिण के 4 एसएसपी शामिल हुए थे।
रक्षा सूत्रों ने माना है कि 30 जून से आरंभ होने जा रही अमरनाथ यात्रा को सुरक्षित बनाने हजारों सैनिकों को दक्षिण कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में व्याप्क तलाशी अभियान आरंभ करने की तैयारी करने को कहा गया है। इन अभियानों का लक्ष्य तलाश करो और मार डालो ही होगा।
अभी तक यही होता आया था कि सेना अमरनाथ यात्रा की शुरूआत से पहले आतंकियों को क्षेत्र से भगाने का अभियान छेड़ती थी लेकिन अब रणनीति को बदल दिया गया है।
अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा की खातिर सेना की तैनाती आधिकारिक तौर पर नहीं होगी। सेनाधिकारी कहते हैं कि उनके पास यात्रा के बाहरी इलाकों की सुरक्षा का भार हमेशा की तरह रहेगा। पर सूत्रों के अनुसार, अन्य सुरक्षाबलों को इस बार भी खतरे को भांपते हुए सेना की कमान के तहत ही अमरनाथ यात्रा में कार्य करना होगा।
आधिकारिक तौर पर 70 हजार से अधिक अर्द्ध सैनिक बलों को अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा की खातिर तैनात किया जाएगा। इनमें सेना के जवानों की गिनती नहीं होगी और न ही प्रदेश पुलिस के जवानों की।
सभी को अगर मिला लिया जाए तो अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा की खातिर तैनात किए जाने वाले सुरक्षाकर्मियों की संख्या एक लाख से अधिक रहेगी। इनकी तैनाती लखनपुर के प्रवेश द्वार से लेकर अमरनाथ गुफा तक के रास्तों पर होगी।
इतने जवानों की तैनाती के बाद भी अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा को लेकर चिंता हमेशा प्रकट की जाती है। खासकर ताजा टारगेट किलिंग वाले हमलों के बाद। दरअसल पाकिस्तान और आतंकी बौखलाहट में हैं। एलओसी और सीमा पर घुसपैठ के प्रयासों को असफल किया जा रहा है और कश्मीर वादी में बहुत से आतंकियों को मौत के घाट उतारा जा चुका है।
ऐसे में आतंकियों पर उस पार से कुछ बड़ा करने का दबाव बना हुआ है। जबकि आतंकियों का साथ देने को अब पत्थरबाजों की फौज भी उनके साथ हथियार उठा कर मैदान में है जिस कारण सुरक्षाबलों पर दोहरा भार आन पड़ा है।