भोपाल। गणपति विसर्जन के दौरान राजधानी भोपाल के खटलापुरा में हुए दर्दनाक हादसे के लिए क्या प्रशासन की लापरवाही जिम्मेदारी है? क्या गणपति विसर्जन के लिए सुरक्षा के तय मानकों का पालन नहीं किया गया? गणपति की बड़ी मूर्ति जिसको क्रेन के जरिए विसर्जित किया जाना था उसको नाव से ले जाने की अनुमति क्यों दी गई? क्या हादसे के वक्त मौके पर गोताखोरों की टीम नहीं मौजूद थी या मौजूद थी तो तुरंत रेस्क्यू क्यों नहीं शुरु किया गया? यह कुछ ऐसे सवाल है जो भोपाल में दर्दनाक नाव हादसे के बाद उठ रहे हैं...
पहली नजर में इस बड़े हादसे के पीछे साफ तौर पर प्रशासन की लापरवाही जिम्मेदार दिख रही है। वेबदुनिया ने जब घटना स्थल पर प्रत्यक्षदर्शियों से बात की तो उन्होंने बताया कि नाव पर क्षमता से अधिक लोग सवार थे जिसके चलते नाव अंसतुलित होकर पलट गई। जैसे ही नाव पलटी वहां चीख पुकार मच गई।
चश्मदीदों के मुताबिक घटना का काफी देर बाद रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया जा सका। जिससे हादसे के बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं जैसे जिला प्रशासन और नगर निगम की जिम्मेदारी बनती है कि विसर्जन घाट पर गोताखोरों की व्यवस्था रखें। पुलिस और होमगार्ड की जिम्मेदारी है कि नाव में अधिक लोगों को न बैठने दिया जाए। इसके साथ जो नाव विसर्जन के दौरान हादसे का शिकार हुई उसको दोनों मलिक हादसे के बाद मौके से फरार हो गए। ऐसे में बड़ा सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि क्या नाव को विसर्जन के लिए निगम के मंजूरी थी या वह फर्जी.तरीके से चलाई जा रही थी।
मुआवजे का मरहम - इस बड़े हादसे के बाद अब प्रशासन के अधिकारी पूरे मामले की लीपापोती में जुट गए हैं। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने घटना पर दुख जताते हुए पूरे मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा है कि घटना के दोषियों को बख्शी नहीं जाएगा...वहीं नगरीय विकास एवं आवास मंत्री जयवर्धन सिंह ने खटलापुरा में हुई नाव दुर्घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है।
मंत्री जयवर्धन सिंह ने मृतकों के परिजनों को हर संभव सहायता उपलब्ध कराने के निर्देश नगर निगम को दिए हैं। नगर निगम भोपाल द्वारा मृतकों के परिजन को 2-2 लाख रुपए देने का निर्णय लिया गया है। राज्य शासन द्वारा 4-4 लाख रुपए और रेड क्रॉस द्वारा 50-50 हजार रुपए की सहायता दी जा रही है।