दिल्ली के शाहीन बाग में चल रहे CAA और NRC प्रदर्शन के बीच एक बार फिर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का नाम एक बार फिर सुर्खियों में आया है। PFI पर यूपी में कुछ समय पहले हुए सीएए विरोधी प्रदर्शनों में हिंसा फैलाने का आरोप भी लगा था। इसे सिमी (स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) का बी विंग कहा जाता है।
पीएफआई 2006 में उस वक़्त सुर्खियों में आया था जब दिल्ली के राम लीला मैदान में नेशनल पॉलिटिकल कांफ्रेंस का आयोजन किया गया था। तब लोगों की बड़ी संख्या यहां उपस्थिति दर्ज कराई थी। यह माना जाता है कि इसकी पूरी राजनीति मुस्लिमों के इर्द-गिर्द ही चलती है।
एक जानकारी के मुताबिक पीएफआई तेजी से अपने पांव फैला रहा है। देश में 23 राज्य ऐसे हैं, जहां पीएफआई अपनी गतिविधियां चला रहा है। यह संगठन खुद को न्याय, स्वतंत्रता और सुरक्षा का पैरोकार बताता है। मुस्लिमों के अलावा देश भर के दलितों, आदिवासियों पर होने वाले अत्याचार के लिए आंदोलन करता है। शाहीन बाग मामले में भी पीएफआई पर आरोप हैं कि वह पैसे देकर आंदोलन को भड़काने का काम कर रहा है। शाहीन बाग इलाके में उसका मुख्यालय है।
सिब्बल भी सुर्खियों में : ताजा जानकारी में कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील भी पीएफआई से पैसा लेने के में मामले घिर गए हैं। इस मामले में वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे का नाम भी सामने आया है। हालांकि दोनों ने इस मामले में खंडन किया है।
संसद से सीएए कानून पास होने के बाद पश्चिमी यूपी के 73 बैंक खातों में 120 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम जमा की गई थी। पीएफआई और इससे जुड़े संगठन रेहाब फाउंडेशन ऑफ इंडिया (आरएफआई) व कुछ अन्य लोगों के नाम से खोले गए खातों में यह रकम विदेशी स्रोतों और कुछ निवेश कंपनियों के मार्फत भेजी गई।
जांच एजेंसी को शक है कि इसी रकम का इस्तेमाल यूपी में हिंसक प्रदर्शनों के लिए हुआ था। इन हिंसक वारदातों में 20 जानें गई थीं। ईडी ने यह रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी भेजी है।