नई दिल्ली। दिल्ली सरकार की शराब नीति को लेकर डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सीबीआई ने छापेमारी के बाद सिसोदिया के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कर ली है। कहा जा रहा है कि अरविन्द केजरीवाल सरकार की इस शराब नीति के चलते सिर्फ बड़े 'खिलाड़ियों' को ही फायदा हो रहा था। इस मामले में उपराज्यपाल ने सीबीआई जांच के आदेश भी दिए थे। हालांकि 1 अगस्त से दिल्ली सरकार पुरानी शराब नीति पर लौट आई है।
क्या है नई शराब नीति : दरअसल, दिल्ली सरकार ने आबकारी नीति 2021-22 के तहत शराब बिक्री का कार्य निजी हाथों में सौंप दिया था। इसमें कहा गया कि सरकार किसी भी शराब की दुकान की मालिक नहीं होगी। ई-टेंडरिंग के जरिए हर जोन ऑपरेटर के लिए नया L-7Z लाइसेंस होगा। निजी फर्मों को खुली बोली के जरिए करीब 850 शराब ठेकों के लाइसेंस जारी किए गए थे। शहर को 32 क्षेत्रों में बांटा गया था, जिनमें से प्रत्येक में अधिकतम 27 विक्रेता थे। नई नीति के तहत 650 दुकानें खुल भी गई थीं।
नई पॉलिसी को लेकर दिल्ली सरकार का दावा था कि इससे राजस्व में बढ़ोतरी होगी। नई नीति के तहत होटलों के बार, क्लब और रेस्टोरेंट्स रात 3 बजे तक खुले रखने की छूट दी गई है। इसके साथ ही शराब कारोबारी छत समेत कहीं भी शराब परोस सकते हैं, जबकि पहले इस पर रोक थी। नई शराब नीति में यह भी शामिल था कि कम उम्र के व्यक्ति को शराब न बेची जाए, आईडी चेक किया जाए। लोग खुले में शराब न पिएं इसके लिए शराब की दुकान के बाहर खाने-पीने की दुकान नहीं खुल सकेगी।
नई नीति पर आपत्ति क्यों? : दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति के बारे में कहा गया कि इससे एकाधिकार को बढ़ावा मिलेगा। चूंकि नई नीति दिल्ली को 32 जोन में बांटती है, उसके मुताबिक बाजार में केवल 16 खिलाड़ियों को ही इजाजत दी जा सकती है। भाजपा समेत अन्य विपक्षी दलों का आरोप था कि इस नीति में भ्रष्टाचार हुआ है। इस नीति के कारण बड़े दुकानदार डिस्काउंट दे रहे हैं, चलते छोटी दुकानें बंद हो गईं।
सरकार का तर्क : वहीं, हाईकोर्ट में दिल्ली सरकार ने कहा था कि नई नीति का उद्देश्य भ्रष्टाचार कम करना और शराब कारोबार में उचित प्रतिस्पर्धा का अवसर उत्पन्न करना है। सरकार ने नई नीति को लेकर व्यक्त की जा रही आशंकाओं को भी काल्पनिक करार दिया था। सरकार का कहना था कि इससे दिल्ली में शराब माफिया और कालाबाजारी समाप्त होगी। सरकार का राजस्व बढ़ेगा साथ ही शराब खरीदने वालों की शिकायत भी दूर होगी।
पहले 4 निगम बेचते थे शराब : नई नीति से पहले यानी 17 नवंबर 2021 से पहले 4 निगम दिल्ली में शराब बेचते थे। इनमें दिल्ली राज्य औद्योगिक और बुनियादी ढांचा विकास निगम (DSIIDC), दिल्ली उपभोक्ता सहकारी थोक स्टोर (DCCWS), दिल्ली पर्यटन और परिवहन विकास निगम (DTTDC) और दिल्ली राज्य नागरिक आपूर्ति निगम (DSCSC) शामिल हैं। नई नीति के बाद इन चारों निगमों की दुकानों पर शराब की खुदरा बिक्री बंद कर दी गई थी।