किस आंतरिक खतरे और साजिश की बात कर रहे हैं पूर्व सेना प्रमुख नरवणे?
पूर्व सेना प्रमुख मनोज नरवणे की पुस्तक कैंटोनमेंट कॉन्सपिरेसीज का विमोचन
Release of former Army Chief Manoj Naravane book: पूर्व थल सेना प्रमुख जनरल मनोज नरवणे ने सोमवार को कहा कि राष्ट्र अपने मूल मूल्यों और साझी विशेषताओं से बंधा हुआ है, लेकिन शत्रुतापूर्ण ताकतें धर्म और जाति के आधार पर लोगों को बांटने का प्रयास करेंगी। अपनी किताब 'कैंटोनमेंट कॉन्सपिरेसीज' के विमोचन के अवसर पर उन्होंने कहा कि लोगों को ऐसी साजिशों को समझना चाहिए और एकजुट रहना चाहिए।
नरवणे ने कहा कि वह क्या है, जो हमें एक साथ बांधता है और हमें भारत बनाता है? यह संविधान ही है, जो राष्ट्र को एक साथ बांधता है और देश को आगे बढ़ा रहा है। मूल मूल्य या साझी विशेषताएं देश को एक साथ बांधती हैं। यह संविधान ही है, जो न्याय, समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के इन मूल मूल्यों को सुनिश्चित करता है। उन्होंने कहा कि यदि इन चार मूल मूल्यों को बढ़ावा दिया जाए तो कुछ भी गलत नहीं हो सकता और देश मजबूत और एकजुट रहेगा।
आंतरिक खतरा ज्यादा महत्वपूर्ण : उन्होंने कहा कि ऐसी शत्रुतापूर्ण शक्तियां होंगी, ऐसे विरोधी हित होंगे, जो हमें विभाजित करने की कोशिश करेंगे। वे हमें धर्म के आधार पर, जाति के आधार पर बांटने की कोशिश करेंगे और कहेंगे कि हमारे बीच एक-दूसरे से कोई समानता नहीं है। लेकिन हमें 'कैंटोनमेंट कॉन्सपिरेसीज' की तरह उस साजिश को समझने में सक्षम होना होगा। हमें उस साजिश को समझने में सक्षम होना होगा और विभाजित नहीं होना होगा।
उन्होंने कहा कि राष्ट्र बाहरी और आंतरिक दोनों ही खतरों का सामना कर रहा है और आंतरिक खतरा ज्यादा महत्वपूर्ण है, क्योंकि अगर हम विभाजनकारी नीतियों का शिकार हो गए, तो ये हमें अस्थिर कर सकते हैं। पूर्व सेना प्रमुख ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सिर्फ सशस्त्र बलों तक सीमित नहीं है। राष्ट्रीय सुरक्षा के कई पहलू हैं, जिनमें खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा, जल सुरक्षा और स्वास्थ्य सुरक्षा शामिल हैं।
ट्रंप टैरिफ पर बोले नरवणे : रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए नए शुल्कों से उत्पन्न खतरे के बारे में उन्होंने कहा कि वर्तमान भू-राजनीतिक स्थिति में दुनिया में कहीं भी होने वाली कोई भी घटना भारत को किसी न किसी तरह से प्रभावित कर सकती है। नरवणे ने कहा कि इसका प्रभाव तत्काल, अल्पावधि में या दीर्घकालिक हो सकता है। उन्होंने कहा कि भारत को नीतिगत स्तर पर, रणनीतिक स्तर पर तैयार रहना होगा और दुनिया भर में हो रही इन घटनाओं पर हमेशा नजर रखनी होगी और उनसे निपटने के लिए तैयार रहना होगा।
ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हाल में हुई शिखर बैठक पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि बैठक के नतीजे बेहद मिले-जुले रहे। यूरोपीय देश बंद दरवाजों के पीछे हुई बातचीत से बहुत खुश नहीं हैं। हमें नहीं पता कि क्या हुआ। उन्होंने कहा कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की और ट्रंप के बीच एक बैठक होने वाली है और ब्रिटेन, इटली के प्रधानमंत्री जैसे कई यूरोपीय नेता भी अमेरिका गए हैं।
यह बहुत बड़ा खेल है : पूर्व सेना प्रमुख ने कहा कि यह एक बहुत बड़ा खेल है, जो वैश्विक मंच पर खेला जा रहा है और इसका अंतिम परिणाम क्या होगा, हम वास्तव में नहीं जानते। हमें केवल एक ही बात ध्यान में रखनी है कि क्या हम इस बात पर सहमत होना और अनुमति देना चाहते हैं कि आप एकतरफा बल प्रयोग करके सीमाओं को बदल सकते हैं, सिर्फ इसलिए कि आप एक शक्तिशाली देश हैं?
उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से इसके खिलाफ रहा है। भारत हमेशा से कहता रहा है कि विवादों का समाधान बातचीत और चर्चा से होना चाहिए, बल प्रयोग से नहीं। इसीलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कहते रहे हैं कि यह युद्ध का युग नहीं है। विवादों का समाधान बातचीत से करना बेहतर है और युद्ध अंतिम उपाय होना चाहिए। (भाषा/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala