नई दिल्ली। सुषमा स्वराज जैसी कद्दावर नेता का अचानक यूं चले जाने से पूरा देश स्तब्ध और गमगीन है। कौन जानता था कि जिस दिन लोकसभा में धारा 370 के बिल के पास होगा, उसी के कुछ घंटों के बाद वे इस दुनिया से दूसरी दुनिया में चली जाएंगी, जहां से कोई वापस लौटकर नहीं आता...क्या उन्हें इसी दिन का इंतजार था?
मोदी सरकार में सबसे काबिल विदेश मंत्री का पद संभालकर विश्व के मंच से दहाड़ने वाली सुषमा स्वराज यूं अचानक सबके बीच से चली जाएंगी, यह तो किसी ने ख्वाब में भी नहीं सोचा था। उन्होंने अपनी मौत के लिए भी ऐसा दिन चुना, जो भारतीय राजनीति के इतिहास का सबसे यादगार दिन था।
मंगलवार को लोकतंत्र के मंदिर में धारा 370 बिल भारी मतों से पास हो चुका था और घड़ी की सुईयां 7 बजकर 23 मिनट का वक्त बजा रही थी, उसी क्षण सुषमा स्वराज ने बिल के पास होने पर प्रधानमंत्री को सोशल मीडिया पर बधाई का संदेश दिया।
अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर सुषमा स्वराज ने लिखा 'प्रधानमंत्री जी - आपका हार्दिक अभिनन्दन। मैं अपने जीवन में इस दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी।'
...तो क्या सुषमा जी ने मौत के दूतों की आहट सुन ली थी? ऐसा नहीं है तो उन्होंने ऐसा क्यों लिखा कि मैं इस दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी। लगता है कि उन्होंने इस दिन को देखने के लिए अपने दिल को कठोर करके रखा था लेकिन किसे पता था कि चंद घंटों के बाद उनका दिल ही उनका साथ छोड़ देगा?
सुषमा स्वराज को दिल का गंभीर दौरा पड़ा और रात 10.15 मिनट पर एम्स में लाया गया और डॉक्टरों की टीम की अथक कोशिशों के बाद भी उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। किसी को यकीन ही नहीं हो रहा था कि सुषमा जी अब हमारे बीच नहीं है क्योंकि जो बहादुर महिला चंद घंटे पहले सोशल मीडिया पर सक्रिय रहती है, वो अचानक हमारे बीच से हमेशा हमेशा के लिए चले जाएं...वे शरीर से भले ही जुदा हो गईं हो लेकिन देश के करोड़ों लोगों के दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगी।