शिमला। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के लोकप्रिय तथा कद्दावर नेता वीरभद्र सिंह पूर्व प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे। वे अपने जीवन को हमेशा 'खुली किताब' कहते थे। वे हिमाचल प्रदेश के सर्वाधिक अनुभवी कुशल राजनेता थे जिनको लोगों ने 6 बार मुख्यमंत्री बनाया। नेहरूजी ही उन्हें राजनीति में लाए थे। इस बात को वीरभद्र सिंह बार-बार दोहराते थे। उसके बाद वे इंदिरा गांधी, मनमोहन सरकार आदि में भी केंद्र में प्रमुख भूमिकाओं में रहे।
सिंह 1983 से 1985 पहली बार, फिर 1985 से 1990 तक दूसरी बार, 1993 से 1998 में तीसरी बार, 1998 में कुछ दिन चौथी बार, फिर 2003 से 2007 5वीं बार और 2012 से 2017 तक 6ठी बार मुख्यमंत्री बने। लोकसभा के लिए वे पहली बार 1962 में चुने गए। वर्तमान में वे अर्की से विधायक थे। इंदिरा गांधी की सरकार में वीरभद्र सिंह दिसंबर 1976 से 1977 तक केंद्रीय पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री रहे। दूसरी बार भी वे इंदिरा सरकार में ही वर्ष 1982 से 1983 तक केंद्रीय उद्योग राज्यमंत्री रहे। वे 9 बार विधायक रहे। साथ ही वे 5 बार सांसद भी चुने गए। उन्होंने 6 बार सीएम के रूप में राज्य की बागडोर भी संभाली।
पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह 23 अप्रैल से ही मेडिकल निगरानी में थे। उन्हें 13 अप्रैल को कोरोना होने की पुष्टि हुई थी। इसके बाद उन्हें मोहाली के मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 23 अप्रैल को अस्पताल से छुट्टी के बाद वे शिमला आ गए थे। यहां आने पर उन्हें फिर से सांस संबंधी दिक्कत शुरू हो गई। इसके बाद उन्हें फिर से आईजीएमसी में भर्ती कराया गया। उन्हें 11 जून को फिर से कोरोना संक्रमण हो गया। वे इससे उबर चुके थे लेकिन होनी को यही मंजूर था।
ज्ञातव्य है कि सिंह का इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आज गुरुवार सुबह निधन हो गया। वे 87 वर्ष के थे और कोरोना के बाद उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने पर और गुर्दे खराब होने के कारण अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।(वार्ता)