मध्यप्रदेश के नीमच जिले में भारी बारिश के चलते चारों ओर तबाही का मंजर दिखाई दे रहा है। यहां पानी से करीब 100 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। सबसे ज्यादा नुकसान जिले के रामपुरा में हुआ है। मौसम विभाग ने आज भी रेड अलर्ट जारी किया है। मंदसौर-नीमच में करीब 20 हजार लोग विस्थापित हुए हैं।
सोमवार को चंबल प्रभावित रामपुरा सहित 20 गांवों में पानी नीचो तो उतरा, लेकिन बर्बादियों के निशान छोड़ गया। रामपुरा सेक्टर में चंबल के पानी से भले ही जान का नुकसान न हुआ, लेकिन लोगों की की दुकानों और घरों को भारी नुकसान हुआ है।
अहम बाद यह है कि रामपुरा को चंबल के पानी से प्रोटेक्ट करने वाली रिंगवॉल भी क्षतिग्रस्त हो चुकी है, जिसका सुधार कार्य प्रशासन की बड़ी जवाबदारी है क्योंकि गांधीसागर डैम में अभी भी 13 लाख क्यूसिक पानी आ रहा है, जबकि निकासी मात्र पांच लाख क्यूसिक की ही हो रही है।
ऐसे में चंबल का पानी उसके कैचमेंट एरिया में तबाही ला रहा है और बेकवाटर लगातार इस रिंगवॉल को डैमेज करने में लगा है। इसके साथ ही प्रशासन पर ये बड़ी जवाबदारी है कि वह राहत कार्य तेजी से चलाए क्योंकि अकेले नीमच जिले में तीन हजार से ज्यादा लोग और 600 परिवार राहत शिविरों में रह रहे हैं।
इससे पहले गांधी सागर बांध के केचमेंट एरिया का बेक वाटर जिले के दर्जनों गांवों और कस्बों में घुस गया। डैम बनने के बाद यह पहला मौका था, जब चंबल नदी का पानी रिंगवॉल को पार कर रामपुरा नगर में घुस गया। इस दौरान रामपुरा निवासी इसहाक खान ने कहा की ऐसी तबाही हमने कभी नहीं देखी। करीब 200 से अधिक दुकानें जलमग्न हो गईं और करीब आधा शहर पानी में डूब गया।
एसपी नीमच राकेश कुमार सगर ने बताया की देवरान, ब्रह्मपुरा, जोड़मी, सोनड़ी, मोकम पुरा, राजपुरिया, आंतरी बुजुर्ग, महागढ़ आदि गांवों में भी चंबल का पानी घुसने के कारण ग्रामीणों को विस्थापित किया गया और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया।
गौरतलब है की हर बार 1308 लेवल पर गांधीसागर डेम के गेट खोल दिए जाते हैं। इस बार 1312 का इंतज़ार किया गया, भारी आवक के कारण डैम के केचमेंट एरिया में बेक वाटर फैलने लगा और वह नीमच और मंदसौर के गांवों में घुस गया। उधर पड़ोसी राज्य राजस्थान में भी स्थिति विकट है।