Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

शिवसेना ने इशारों में UPA का नेतृत्व शरद पवार को सौंपने की बात कही

हमें फॉलो करें शिवसेना ने इशारों में UPA का नेतृत्व शरद पवार को सौंपने की बात कही
, शनिवार, 26 दिसंबर 2020 (23:22 IST)
मुंबई। शिवसेना सांसद संजय राउत ने शनिवार को कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील मोर्चा (संप्रग) का दायरा बढ़ाने का आह्वान किया और कहा कि विपक्ष को केंद्र के ‘तानाशाही रवैये’ के खिलाफ एकजुट होना चाहिए और नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ ‘मजूबत विकल्प’ देना चाहिए।
 
राउत ने कहा कि सोनिया गांधी ने गत वर्षों में संप्रग का प्रभावी तरीके से नेतृत्व किया है और अब समय आ गया है कि और सहयोगियों को शामिल कर इसका विस्तार किया जाए। संप्रग का नेतृत्व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार को देने के कयासों के बारे में पूछे जाने पर राउत ने कहा कि देश में नेताओं की कोई कमी नहीं है।
 
उन्होंने कहा कि लोगों का समर्थन महत्वपूर्ण है। सोनिया गांधी के साथ शरद पवार को भी समाज के विभिन्न धड़ों का समर्थन प्राप्त है। राज्यसभा सदस्य राउत ने कहा कि सभी विपक्षी पार्टियों को केंद्र सरकार के तानाशाही रवैये के खिलाफ एकसाथ आना चाहिए। कमजोर विपक्ष लोकतंत्र के लिए खराब है।
 
राउत ने संप्रग और भाजपा नीत राजग को ‘खाली माचिस की डिब्बियां’ करार देते हुए कहा कि कोई नहीं जानता कि कौनसी पार्टी किस गठबंधन में है। गौरतलब है कि शिवसेना पहले भाजपा नीत राजग का हिस्सा थी।
 
जब राउत से पूछा गया कि संप्रग का नेतृत्व किसे करना चाहिए तो उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गत वर्षों में संप्रग का बहुत सफलतापूर्वक नेतृत्व किया है। अब समय आ गया है कि इसके दायरे को बढ़ाया जाए।
 
उन्होंने कहा विभिन्न राज्यों में कई पार्टियों ने भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ा है, लेकिन अब भी संप्रग का हिस्सा नहीं हैं। राउत ने कहा कि सभी विपक्षी पार्टियों को एक साथ आना चाहिए और भाजपा एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मजबूत विकल्प देना चाहिए, जो काफी सशक्त हैं।
 
शिवसेना प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि विकास कार्यों के लिए गैर भाजपा शासित राज्यों को केंद्र सरकार के असहयोगात्मक रवैये का सामना करना पड़ रहा है।
 
शिवसेना के मुखपत्र सामना में भी कहा गया है कि तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, अकाली दल, बहुजन समाज पार्टी, आखिलेश यादव, जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस, तेलंगाना के चंद्रशेखर राव, ओड़िशा के नवीन पटनायक, कर्नाटक के एचडी कुमारस्वामी सभी भाजपा के विरोधी हैं, लेकिन वे कांग्रेस नीत संप्रग का हिस्सा नहीं हैं। जब तक वे संप्रग के साथ नहीं जुड़ते हैं तब तक विपक्ष मजबूत विकल्प नहीं दे सकता।
 
सामना ने कहा- कृषि कानून पर विरोध मार्च के दौरान दिल्ली में प्रियंका गांधी को गिरफ्तार कर लिया गया, राहुल गांधी का भाजपा ने सार्वजनिक रूप से उपहास किया, महाराष्ट्र में ठाकरे सरकार को काम नहीं करने दिया जाता है, भाजपा नेता ऑन रिकार्ड कहते हैं कि मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार को गिराने में प्रधानमंत्री की भूमिका अहम थी। यह सब लोकतंत्र के लिए अच्छी बात नहीं है।
 
शिवसेना के मुखपत्र सामना ने कहा कि स्थिति और नहीं बिगड़े, यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी कांग्रेस की है। उसने कहा कि अहमद पटेल, मोतीलाल वोरा जैसे वरिष्ठ कांग्रेस नेता अब नहीं रहे। इस बात की स्पष्टता नहीं है कि काग्रेस की अगुवाई कौन करेंगे और संप्रग का भविष्य क्या है। जैसे राजग में भाजपा को छोड़कर कोई और दल नहीं है, उसी तरह संप्रग में कोई अन्य नहीं है। लेकिन भाजपा पूर्ण सत्ता में है और उसके पास नरेंद्र मोदी और अमित शाह जैसा शक्तिशाली नेतृत्व है। संप्रग में ऐसा कोई नहीं है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

सोमवार को 100वीं किसान रेल को हरी झंडी दिखाएंगे PM नरेन्द्र मोदी