Jaishankar : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council) को ओल्ड क्लब के जैसा बताया है। उन्होंने कहा- UNSC में शामिल कुछ सदस्य (राष्ट्र) अपनी पकड़ कमजोर नहीं होने देना चाहते हैं। जयशंकर ने कनाडा को लेकर भी बयान दिया।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सदस्यता नहीं दिए जाने पर नाखुशी व्यक्त करते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रविवार को कहा कि सुरक्षा परिषद एक ऐसे पुराने समूह की तरह है, जिसमें कुछ ऐसे सदस्य हैं जो अपनी पकड़ ढीली नहीं होने देना चाहते और वे नहीं चाहते कि उनकी कार्यशैली पर सवाल उठाए जाएं।
उन्होंने कहा कि दुनिया के तमाम देश संयुक्त राष्ट्र में सुधार चाहते हैं क्योंकि अगर आप ओरिजिनल प्रोमोटर्स ऑफ बिजनेस को बदलना नहीं चाहते हैं तो यह उचित नहीं है।
जयशंकर ने रोटरी इंस्टीट्यूट द्वारा परिवर्तन का एक दशक विषय पर आयोजित एक व्याख्यान के बाद परिचर्चा के दौरान कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद एक पुराने क्लब की तरह है, जहां ऐसे सदस्यों का एक समूह है जो अपनी पकड़ ढीली नहीं करना चाहता है। वे समूह पर नियंत्रण रखना चाहते हैं और अधिक सदस्यों को शामिल करने के इच्छुक नहीं हैं।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सीट कब मिलेगी, इस सवाल का जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा कि एक तरह से यह मानवीय विफलता है, लेकिन मुझे लगता है कि आज यह दुनिया को नुकसान पहुंचा रहा है क्योंकि विश्व के सामने प्रमुख मुद्दे हैं और संयुक्त राष्ट्र कम प्रभावी होता जा रहा है।
वैश्विक भावना का जिक्र करते हुए मंत्री ने कहा कि दुनिया के कई देश संयुक्त राष्ट्र में सुधार के इच्छुक हैं।
जयशंकर ने कहा कि अगर आप दुनिया के 200 देशों से पूछें कि क्या आप सुधार चाहते हैं या आप सुधार नहीं चाहते हैं? वे कहेंगे हां, हम सुधार चाहते हैं क्योंकि इसका (संरा) गठन उस समय हुआ था जब संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता लगभग 50 देशों की थी। कल्पना कीजिए एक दुनिया जो चार गुना बढ़ गई है, फिर भी आप बदलाव नहीं चाहते हैं। यह उचित नहीं है।
'अमेरिका-कनाडा के मामले एक नहीं' : जयशंकर ने कहा कि कनाडा और अमेरिका द्वारा उठाए गए मुद्दे जरूरी नहीं कि समान हों। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि हर कोई जानता है कि भारत एक ऐसा देश है, जहां हम बहुत जिम्मेदार हैं। हम जो भी करते हैं, वह विवेक से करते हैं। हमारे लिए पूरा मुद्दा यह है कि हमने हमेशा यह कहा है कि कनाडा ही नहीं, किसी भी देश को कोई चिंता है और वह हमें उस चिंता के संबंध में कुछ जानकारी या कुछ आधार देता है, तो हम उस पर विचार करने के लिए हमेशा तैयार हैं। यही देश करते हैं।
उन्होंने कहा, मुद्दा यह था कि जब अमेरिकियों ने कुछ मुद्दे उठाए...जरूरी नहीं कि दोनों मुद्दे एक जैसे हों। मैं यह भी कहना चाहूंगा कि, जब अमेरिकियों ने यह मुद्दा उठाया, तो उन्होंने हमें कुछ विशिष्ट बातें बताईं।
मंत्री ने कहा कि भारत ने बहुत ईमानदारी से कनाडाई लोगों से कहा है कि यह उनकी पसंद है कि वे चाहते हैं कि हम (भारत) इसे आगे बढ़ाएं, या इस पर गौर करें या नहीं।
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने ब्रिटिश कोलंबिया में 18 जून को निज्जर की हत्या को लेकर 18 सितंबर को भारतीय एजेंटों की संभावित संलिप्तता का आरोप लगाया था, जिसके बाद भारत और कनाडा के बीच संबंधों में तनाव आ गया। भारत ने 2020 में निज्जर को आतंकवादी घोषित किया था। इनपुट भाषा