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उमा भारती का नया 'मिशन' गंगा पदयात्रा

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, मंगलवार, 5 सितम्बर 2017 (23:12 IST)
नई दिल्ली। मंत्रि परिषद फेरबदल में गंगा संरक्षण मंत्रालय से हटाकर पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री बनाईं गईं सुश्री उमा भारती ने आज कहा कि वह अगले माह से गंगा सागर से हरिद्वार तक की पदयात्रा आरंभ करेंगी और लोगों को गंगा की स्वच्छता एवं निर्मलता को लेकर जागरूक करेंगी। 
              
सुश्री भारती ने पदभार संभालने के बाद अपने पहले संवाददाता सम्मेलन में मीडिया की उन रिपोर्टों का भी खंडन किया कि गंगा की स्वच्छता के काम में वह विफल रही हैं। उन्होंने कहा कि गंगा के कार्य की विफलता के आरोप तो स्वयं कल नितिन गडकरी के बयान से खारिज हो गए, जब उन्होंने कहा कि वह खुद (गडकरी) तीन साल से गंगा की स्वच्छता एवं निर्मलता के लिए उनके साथ काम कर रहे थे। 
                
गंगा संरक्षण मंत्रालय से हटाए जाने पर क्या वह नाराज़ हैं? इस पर उन्होंने कहा कि गंगा स्वच्छता के काम में गडकरी की भूमिका रही है। प्रधानमंत्री ने गडकरी की अगुवाई में एक अनौपचारिक समूह का गठन करके इसमें उनकी भूमिका तय की थी। 
 
उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री को इस बात के लिए धन्यवाद देती हैं कि गंगा का कार्य गडकरी जैसे सक्षम व्यक्ति को सौंपा है। उन्होंने कहा, 'मैंने प्रथम आहुति दी थी और गडकरी इसकी पूर्णाहुति देंगे।'
                
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री को अपना गुरू मानती हैं। उन्होंने ही गुरुमंत्र दिया था कि भारत में आज़ादी तब मिली जब स्वतंत्रता संग्राम जनांदोलन बना। इससे उन्हें समझ में आया कि जल संबंधी मामले जनांदोलन से ही पूरे होंगे।
              
उन्होंने कहा कि अगर गंगा का कोई काम नहीं हुआ होता तो प्रधानमंत्री गडकरी को इसका दायित्व नहीं देते। उन्होंने कहा कि वह गंगा से अलग नहीं हुई हैं और स्वयं को भी गडकरी का अभिन्न अंग मानती हैं। उन्होंने कहा कि वह गंगा से अलग नहीं हुईं हैं और कोई अलग कर भी नहीं सकता है। 
 
उन्होंने गंगा को लेकर अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए एक पुराने फिल्मी गीत की एक पंक्ति सुनाई, 'मेरा तो हर कदम है तेरी राह में, तू कहीं भी रहे तू है मेरी निगाह में।'
              
उन्होंने कहा कि वह 2012 से ही गंगा के किनारे पदयात्रा करने की इच्छुक रहीं हैं। उन्होंने एक वर्ष पहले इलाहाबाद में गंगा के किनारे के सरपंचों के सम्मेलन में अपनी गंगा की पदयात्रा की घोषणा की थी इसके बाद उन्होंने माननीय प्रधानमंत्री एवं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से इसकी अनुमति भी मांगी थी। वह मोदी और शाह की आभारी है कि उन्होंने उन्हें यह अवसर प्रदान किया।
              
उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि गंगा की सफाई के लिए सरकार गंदगी की सफाई के मलशोधन संयंत्र स्थापित कर सकती है और अन्य उपाय कर सकती है लेकिन अंतत: यह काम अकेले सरकार के बस का नहीं है। इस नदी में 72 करोड़ लोग प्रतिवर्ष स्नान करते हैं, 50 करोड़ लोगों का रोज़गार चलता है और गंगा को स्वच्छ रखने का उनका भी दायित्व है।
       
गंगा स्वच्छता का काम नहीं होने पर प्रधानमंत्री से डाँटे जाने की रिपोर्टों पर सफाई देते हुए सुश्री भारती ने कहा कि उन्हें प्रधानमंत्री से दो बार डाँट जरूर पड़ी लेकिन वह इस बात पर पडी कि वह मोटी हो रही हैं। काम को लेकर डांट कभी नहीं पड़ी है। 
      
उन्होंने कहा कि वह गंगा सागर से हरिद्वार तक पहुंचने के लिए सप्ताह में दो दिन पदयात्रा करेंगी एवं  लोगों को गंगा की स्वच्छता के लिए जागरूक बनाएंगीं। वह इस दौरान कोई जनसभा या रैली नहीं करेंगी और  ना ही कोई होर्डिंग या पोस्टर लगेगा। उन्होंने कहा कि वह गांव गांव जाएंगी, वहां चौपाल लगा कर लोगों को  गंगा का किनारा साफ रखने के लिए प्रेरित करेंगी।
              
उन्होंने कहा, 'गंगा तप से पोषित नदी है। यह तपस्या से ही बचेगी।' उन्होंने कहा कि बाकी समय में वह अपने दफ्तर का कामकाज देखेंगी। उन्होंने कहा कि इस संबंध में उन्होंने पूरे एक वर्ष का चार्ट बनाने के लिए अपने विभाग के अधिकारियों से कह दिया है। 
 
उमा ने कहा कि उनकी पदयात्रा से विभाग के कामकाज में कोई अड़चन नहीं आने दी जाएगी। इसलिए वह शनिवार, रविवार या अवकाश के दिनों में ही चला करेंगी। यात्रा इस साल के अक्टूबर से शुरू होगी और अगले साल अक्टूबर तक यह पदयात्रा पूरी हो जाएगी। (वार्ता)

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