नई दिल्ली। यूक्रेन पर रूस के हमले का खतरा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। अमेरिका लगातार यूक्रेन पर रूसी हमले की चेतावनी दे रहा है। नाटो भी इस हमले का जवाब देने के लिए कमर कस चुका है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने आशंका जताई है कि हमला किसी भी समय हो सकता है। साकी ने अपनी दैनिक प्रेस वार्ता में कहा कि हमारा मानना है कि हमला कभी भी हो सकता है और रूस कोई भी बहाना बनाकर हमला कर सकता है।
आइए जानते हैं कि अगर रूस यूक्रेन पर हमला करता है तो भारत पर क्या असर होगा?
रूस क्रूड ऑयल और नेचुरल गैस का बड़ा सप्लायर माना जाता है। युद्ध की स्थिति में ईंधन की सप्लाई बुरी तरह प्रभावित होगी। ऐसे में अगर रूस यूक्रेन पर हमला करता है तो भयावह युद्ध होगा और दुनियाभर में कच्चे तेल के दामों में तेजी से वृद्धि होगी।
वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट वायदा इस समय 93.99 डॉलर प्रति बैरल पर है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होता है तो कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर से 120 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं। नेचरल गैस के दाम भी संकट काल में 6 प्रतिशत बढ़ चुके हैं।
युद्ध की स्थिति में भारत की अर्थव्यवस्था और व्यापार को भी भारी नुकसान होने की आशंका है। युद्ध के दौरान सप्लाई चेन प्रभावित होने के कारण शेयर बाजारों में भी गिरावट आएगी।
मानवीय संकट : यूक्रेन में वर्तमान में करीब 20 हजार भारतीय रह रहे हैं। इनमें कई पेशेवर कामगार और व्यापारियों के अलावा 18 हजार छात्र शामिल हैं। नागर विमानन मंत्रालय ने द्विपक्षीय एयर बबल समझौते के तहत भारत और यूक्रेन के बीच संचालित होने वाली उड़ानों की संख्या संबंधी प्रतिबंध हटा दिया है, ताकि पूर्वी यूरोपीय देश से भारतीय अपने देश आ सकें। भारतीय दूतावास ने मंभारतीय नागरिकों, खास तौर से छात्रों को सलाह दी कि वे मौजूदा हालात की अस्थिरता के मद्देनजर अस्थाई रूप से देश (यूक्रेन) छोड़ दें।
कूटनीतिक संकट : इस बीच अमेरिका ने उम्मीद जताई कि नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए प्रतिबद्ध भारत, यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की सूरत में अमेरिका का साथ देगा। अमेरिका ने रूस संकट की आड़ में भारत को चीन की दादागिरी भी याद दिलाई है। बहरहाल रूस को भी अपने पुराने दोस्त अमेरिका से बड़ी उम्मीदें हैं। ऐसे में भारत के लिए कूटनीतिक रूप से किसी भी एक पक्ष का साथ देने का फैसला आसान नहीं होगा।
महंगा होगा पेट्रोल डीजल : ऐसे में भारत जैसे देश जहां पेट्रोल डीजल के दाम रोज तय होते हैं, में इसकी कीमतें तेजी से बढ़ेगी। वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में तेजी जारी रहने के बावजूद घरेलू स्तर पर 105 दिन से पेट्रोल और डीजल के दाम में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
क्या चुनाव के कारण नहीं बढ़े दाम : कहा जा रहा है कि यूपी समेत 5 राज्यों में चल रहे चुनावों को देखते हुए सरकार ने पेट्रोल डीजल के दाम नहीं बढ़ाए हैं। वाणिज्य से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि फिलहाल दाम नहीं बढ़ाए जा रहे हैं तो 10 मार्च के बाद इसमें तेजी से वृद्धि होगी। आम आदमी पर इसका सीधा असर होगा और महंगाई भी तेजी से बढ़ेगी।
महंगाई की मार : भारत के रूस से काफी पुराने व्यापारिक संबंध है। दोनों देशों के बीच बड़ी मात्रा में वस्तुओं का आयात निर्यात होता है। युद्ध होने पर भारत को अन्य देशों से यह वस्तुएं महंगे दामों पर खरीदना होगी।
यूक्रेन से भारत में खाद्य तेल समेत कई वस्तुओं का आयात होता है। युद्ध होता है तो व्यापार नहीं होगा और भारत के लिए परेशानी बढ़ेगी। पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ने से देश में आवागमन से लेकर रसोई तक सभी वस्तुओं के दाम बढ़ सकते हैं। ऐसे में हर घर का बजट गड़बड़ाने के आसार है।
हथियारों के लिए मोदी का भरोसा है रूस : रूस से भारत बड़ी मात्रा में हथियार खरीदता है। कई दशकों से भारतीय रक्षा तंत्र हथियारों के मामले में रूस पर निर्भर है। मोदी राज में ही भारत ने करीब 55 फीसदी रक्षा सामानों का आयात रूस से किया है। उसने भारत को 9.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर के हथियारों का निर्यात किया है। भारत ने अक्टूबर 2018 में रूस से 5 एस-400 हवाई रक्षा प्रणाली की खरीद के लिए पांच अरब डॉलर का सौदा किया था। उस वक्त तत्कालिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने चेतावनी दी थी कि इस सौदे से भारत पर प्रतिबंध लग सकते हैं।
बहरहाल अगर युद्ध की स्थिति बनती है तो भारत के लिए आने वाले कुछ दिन मुश्किल भरे होंगे। आर्थिक रूप से देश पर दबाव बढ़ेगा तो कूटनीतिक रूप से भी राह आसान नहीं रहेगी। यूक्रेन में रह रहे भारतीयों को भी जल्द से जल्द निकालने भी किसी चुनौती से कम नहीं होगा। देश में महंगाई बढ़ी तो भी सरकार को जनता को जवाब देना होगा।