नई दिल्ली। दिल्ली वालों की सेहत पर प्रदूषण के गंभीर संकट के असर की सटीक जानकारी छोटे छोटे सेंसर की मदद से हासिल की जा सकेगी। ब्रिटेन और भारत के पर्यावरण विशेषज्ञ, दिल्ली में पिछले चार साल के दौरान वायु प्रदूषण के गहराए संकट को देखते हुए दूषित हवा में लंबे समय तक रहने के फलस्वरूप सेहत पर पड़ने वाले असर का सेंसर की मदद से परीक्षण शुरू किया है।
ब्रिटेन के एडिनबर्ग विश्वविद्यालय की अगुवाई में होने वाले इस शोध में दोनों देशों के विशेषज्ञों ने दिल्ली में लगातार चार साल से रह रहे लोंगों पर सेंसर युक्त मॉनीटर की मदद से वायु प्रदूषण के सेहत पर असर का अध्ययन नवंबर के अंतिम सप्ताह में शुरू किया है। शोधदल की अगुवाई कर रहे एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डीके अरविंद ने आज बताया कि जहरीली हवा के श्वसन तंत्र पर पड़ने वाले असर की सटीक जानकारी देने वाले इन छोटे छोटे सेंसर को सीने और कमर में बेल्ट की मदद से बांधा जा सकता है।
ये सेंसर एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने विकसित किए हैं। दिल्ली में पिछले महीने प्रदूषण की स्थिति सामान्य से 16 गुना अधिक खतरनाक स्तर पर पहुंचने के बाद शुरू किए गए इस शोध में 760 गर्भवती महिलाओं को शामिल किया गया है। शोधकर्ता ‘एयरस्पेक्स’ नामक मॉनीटर युक्त सेंसर बैल्ट की मदद से महिला और गर्भस्थ शिशु की सेहत पर वायु प्रदूषण के असर का आंकलन कर रहे हैं।
इसके अलावा वैज्ञानिक दमा से पीड़ित 360 युवाओं पर भी प्रदूषण के सहन कर सकने की क्षमता का पता लगाएंगे। शोधदल में भारत और ब्रिटेन के नौ अग्रणी संस्थानों के डाक्टर और कम्प्यूटर वैज्ञानिकों को शामिल किया गया है। भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा ब्रिटिश शोध परिषद को वित्तपोषित इन अध्ययन में इनमें एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के अलावा भारत में एम्स, आईआईटी कानपुर और दिल्ली विश्वविद्यालय के शीर्ष विशेषज्ञ शामिल हैं।
प्रो. अरविंद ने बताया कि वायरलैस मॉनीटर की मदद से शोध में शामिल लोगों के शरीर में लगे सेंसर के आंकड़ों को उपयोगकर्ता के मोबाइल फोन पर भी दर्ज किया जा रहा है। इतना ही नहीं इस परियोजना के तहत दिल्ली के विभिन्न इलाकों में स्ट्रीट लाइट पर सेंसर लगाकर प्रदूषण बढ़ाने में नाइट्रोजन डाइ ऑक्साइड और ओजोन के असर का भी आंकलन किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण के सेहत पर असर से जुड़े दुनिया के अग्रणी वैज्ञानिकों द्वारा किए जा रहे इस अध्ययन के परिणाम से न सिर्फ दिल्ली के लाखों लोगों को इस समस्या से बचाव के उपाय सुझाए जा सकेंगे बल्कि वायु प्रदूषण से जूझ रहे विश्व के अन्य शहरों को भी इससे लाभ होगा। (भाषा)