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Maharashtra Political Crisis : 20 मई को एकनाथ शिंदे को ऑफर किया गया था CM पद, आदित्य ठाकरे का बड़ा दावा

हमें फॉलो करें Maharashtra Political Crisis : 20 मई को एकनाथ शिंदे को ऑफर किया गया था CM पद, आदित्य ठाकरे का बड़ा दावा
, सोमवार, 27 जून 2022 (00:24 IST)
मुंबई। Maharashtra Political Crisis : महराष्ट्र में सियासी संग्राम में जारी है। महाराष्ट्र सरकार में शिवसेना से मंत्री आदित्य ठाकरे ने दावा किया कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पिछले महीने पार्टी नेता एकनाथ शिंदे से पूछा था कि क्या वे मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं, हालांकि शिंदे ने तब बात को टाल दिया था। पार्टी प्रमुख और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ने यह टिप्पणी शिवसेना कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए की है। 
आदित्य ने शिंदे के विद्रोह के हवाले से कहा कि  20 मई को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे को (मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास) 'वर्षा' बुलाया था और पूछा था कि क्या वे मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। हालांकि तब उन्होंने इस मुद्दे को टाल दिया था। लेकिन एक महीने बाद 20 जून को जो होना था वो हो गया। 
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वर्ली से विधायक ने कहा कि उन्हें सूरत और गुवाहाटी भागने के बजाय सामने से पद की मांग करनी चाहिए थी। शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में रविवार को प्रकाशित अपने साप्ताहिक कॉलम में, पार्टी सांसद संजय राउत ने कहा, शिंदे अगर शिवसेना में ही रहते तो उनके पास राज्य का मुख्यमंत्री बनने का एक अच्छा मौका था। राउत ने कहा, “अगर भाजपा बारी-बारी से मुख्यमंत्री पद के अपने वादे से पीछे नहीं हटती तो शिंदे मुख्यमंत्री होते। हैरानी की बात है कि शिंदे भाजपा में जाना चाहते हैं।”
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शिंदे पहुंचे सुप्रीम कोर्ट : महाराष्ट्र में शिवसेना के बागी मंत्री एकनाथ शिंदे ने अपने तथा 15 अन्य बागी विधायकों को विधानसभा उपाध्यक्ष द्वारा भेजे गए अयोग्यता नोटिस के खिलाफ रविवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और इस कार्रवाई को ‘गैर-कानूनी और असंवैधानिक’ करार देने तथा इस पर रोक लगाने का निर्देश देने की अपील की है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की अवकाशकालीन पीठ सोमवार को शिंदे की याचिका पर सुनवाई कर सकती है। शिंदे और शिवसेना के विधायकों का बड़ा हिस्सा 22 जून से असम की राजधानी गुवाहाटी के एक होटल में डेरा डाले हुए हैं। बागी विधायकों ने राज्य की महा विकास आघाड़ी (एमवीए) गठबंधन सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है जिससे सरकार गिरने का खतरा उत्पन्न हो गया है।
 
शिंदे के नेतृत्व वाला विद्रोही समूह मांग कर रहा है कि शिवसेना को महा विकास आघाड़ी गठबंधन (एमवीए) से हट जाना चाहिए, लेकिन शिवसेना सुप्रीमो और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने हार मानने से इनकार कर दिया है और पार्टी ने अब असंतुष्टों से कहा है कि वे इस्तीफा दें और फिर से चुनाव लड़ें। एमवीए में कांग्रेस और राकांपा भी शामिल हैं। महाराष्ट्र विधानसभा सचिवालय ने इन बागी विधायकों को अयोग्य ठहराये की मांग पर शनिवार को 16 बागी विधायकों को 'समन' जारी कर 27 जून की शाम तक लिखित जवाब मांगा था।
शिंदे ने महाराष्ट्र विधान सभा के सदस्यों (दलबदल के आधार पर अयोग्यता) नियम, 1986 के प्रावधानों के ‘मनमाने और अवैध’ इस्तेमाल को चुनौती देते हुए अपनी याचिका में कहा कि वह संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस न्यायालय के अधिकार क्षेत्र का उपयोग करने के लिए विवश हैं। उनका कहना है कि विधानसभा उपाध्यक्ष द्वारा विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के लिए शुरू की गयी प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 14 और 19(1)(जी) का पूरी तरह से उल्लंघन है।
 
याचिका में तर्क दिया गया है कि फरवरी 2021 में नाना पटोले के पद से इस्तीफा देने के बाद से अध्यक्ष की सीट खाली है और किसी अन्य के पास यह अधिकार नहीं है कि वह अयोग्यता याचिका पर निर्णय ले सके, जिसके तहत याचिकाकर्ता को नोटिस जारी किया गया है।
 
ठाणे के कोपरी-पछपाखडी निर्वाचन क्षेत्र से विधायक शिंदे ने शिवसेना के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु के कहने पर बागी विधायकों के खिलाफ शुरू की गई अवैध अयोग्यता कार्यवाही को चुनौती दी है और कहा है कि शिवसेना विधायक दल के मुख्य सचेतक से उन्हें हटाये जाने के बाद उनके पास व्हिप जारी करने का कोई अधिकार नहीं रह गया है और तदनुरूप मामले को सत्यापित किए बिना उपाध्यक्ष द्वारा समन जारी किया जाना अनुचित है।
 
अधिवक्ता अभिनय शर्मा के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि उपाध्यक्ष अपने स्वयं के निष्कासन प्रस्ताव के लंबित रहने के दौरान संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत किसी भी सदस्य को अयोग्य नहीं ठहरा सकते हैं। शिवसेना के दो-तिहाई से अधिक विधायकों के समर्थन का दावा करने वाले शिंदे समूह ने तर्क दिया है कि प्रभु के स्थान पर भरत गोगावाले को पार्टी का सचेतक नियुक्त किया जा चुका है। गुवाहाटी में, सूत्रों ने कहा कि विधायक रविवार सुबह से बैठक कर रहे थे और नोटिस जारी होने के बाद विभिन्न विकल्पों पर चर्चा कर रहे थे।
उदय सामंत भी बागी खेमे में शामिल : महाराष्ट्र के एक अन्य मंत्री उदय सामंत रविवार को गुवाहाटी पहुंचे और असंतुष्ट खेमे में शामिल हो गए। सामंत का काफिला असम पुलिस के साथ राष्ट्रीय राजमार्ग 37 के पास रैडिसन ब्लू होटल में प्रवेश करते देखा गया। अब तक महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री गुलाबराव पाटिल, दादा भुसे, संदीपन भुमरे और राज्य मंत्री शंबुराजे देसाई और अब्दुल सत्तार विद्रोही खेमे में शामिल हो चुके हैं। एक अन्य मंत्री प्रहार जनशक्ति पार्टी के बाचु कडू और शिवसेना कोटे से निर्दलीय मंत्री राजेंद्र येद्रावकर भी शिंदे के साथ डेरा डाले हुए हैं।

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