Hanuman Chalisa

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

तुर्की के सेब क्यों खटक रहे हैं भारत की आंखों में, क्या है भारतीय और टर्की के सेब में अंतर

Advertiesment
हमें फॉलो करें Apple Benefits

WD Feature Desk

, शनिवार, 17 मई 2025 (16:38 IST)
turkey apple ban news : भारतीय बाजार में इन दिनों तुर्की के सेब अचानक विवाद का केंद्र बन गए हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनावपूर्ण माहौल में तुर्की के उत्पादों, विशेषकर सेब को, भारत में व्यापक बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है। यह अभियान 'बॉयकॉट तुर्की' के नाम से जोर पकड़ रहा है, जिसकी वजह कुछ हालिया घटनाक्रम और तुर्की द्वारा कथित तौर पर पाकिस्तान को दी गई सैन्य सहायता है।
 
तुर्की के सेब क्यों बने विवाद का केंद्र?
हाल ही में, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके बाद भारतीय सेना द्वारा चलाए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' ने भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव बढ़ा दिया है। इस दौरान, पाकिस्तान ने भारत पर जवाबी हमला किया, और ऐसी खबरें सामने आईं कि इस हमले में तुर्की ने पाकिस्तान को सैन्य सहायता, जैसे ड्रोन की आपूर्ति आदि की थी। इन आरोपों के सामने आने के बाद भारत में तुर्की के खिलाफ एक बड़ा अभियान शुरू हो गया, जिसमें तुर्की के उत्पादों का बहिष्कार करने की मांग की जा रही है। इसी अभियान के अंतर्गत तुर्की के सेबों को भी बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है। भारतीय व्यापारियों और उपभोक्ताओं का मानना है कि जो देश भारत के दुश्मनों का समर्थन करेगा, उसके उत्पादों को भारत में जगह नहीं मिलनी चाहिए।

भारत में कितनी है तुर्की के सेबों की डिमांड?
भारत दुनिया के सबसे बड़े सेब आयातकों में से एक है, और तुर्की लंबे समय से भारत को सेब निर्यात करने वाले प्रमुख देशों में रहा है। आंकड़ों के अनुसार, भारत हर साल तुर्की से बड़ी मात्रा में सेब आयात करता रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 2023-24 में तुर्की से भारत में 821 करोड़ रुपये के सेब आयात किए गए थे। तुर्की के सेब अपनी अच्छी गुणवत्ता, आकर्षक रंग और प्रतिस्पर्धी कीमत के कारण भारतीय बाजारों में काफी लोकप्रिय थे, खासकर ऑफ-सीजन में जब भारतीय सेबों की उपलब्धता कम होती है।

हालांकि, 'बॉयकॉट तुर्की' अभियान के जोर पकड़ने के बाद तुर्की के सेबों की मांग में भारी गिरावट दर्ज की गई है। कई व्यापारियों ने तुर्की से सेब का नया ऑर्डर देना बंद कर दिया है, और ग्राहक भी तुर्की के सेब खरीदने से बच रहे हैं। रिपोर्टों के अनुसार, मांग में 50% से अधिक की गिरावट आई है, जिससे तुर्की को भारी आर्थिक नुकसान होने की उम्मीद है। भारतीय व्यापारी अब तुर्की के बजाय कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, वाशिंगटन, ईरान और न्यूजीलैंड जैसे स्थानों से सेब मंगवा रहे हैं।

भारत के सेब और तुर्की के सेब में क्या है अंतर?
दोनों देशों के सेबों में कई मूलभूत अंतर हैं, जो उनकी पहचान और विशेषताओं को दर्शाते हैं:

1. उत्पादन विधि और रसायन उपयोग:
भारतीय सेब (विशेषकर कश्मीर और हिमाचल के): आमतौर पर पारंपरिक तरीकों से उगाए जाते हैं, जहां रासायनिक कीटनाशकों और उर्वरकों का उपयोग तुलनात्मक रूप से कम होता है। इन सेबों में प्राकृतिक मिठास और स्वाद अधिक होता है। इनमें वैक्सिंग या कृत्रिम कोटिंग भी कम देखने को मिलती है।

तुर्की के सेब: आधुनिक कृषि तकनीकों का उपयोग करके उगाए जाते हैं, जिसमें रसायनों और फर्टिलाइजर्स का अधिक इस्तेमाल हो सकता है। इन्हें दिखने में बिल्कुल परफेक्ट बनाने के लिए खास प्रोसेसिंग से गुजारा जाता है।

2. दिखावट और बनावट:
भारतीय सेब: अपने प्राकृतिक स्वरूप में होते हैं। इनका रंग और आकार थोड़ा भिन्न हो सकता है, लेकिन इनकी कुरकुरी बनावट और ताजगी इन्हें खास बनाती है। खेत से मंडी तक जल्दी पहुंचने के कारण इनका पोषण भी बना रहता है।

तुर्की के सेब: अक्सर एक समान रंग, आकार और चमक वाले होते हैं, जो इन्हें बाजार में प्रीमियम लुक देता है। कोल्ड स्टोरेज, वैक्सिंग और विशेष पैकेजिंग के कारण ये लंबे समय तक खराब नहीं होते और ऑनलाइन या विदेशी बाजारों के लिए उपयुक्त होते हैं। कुछ तुर्की सेब हल्के नरम और रसदार भी हो सकते हैं।

3. स्वाद और सुगंध:
भारतीय सेब: अपनी विशिष्ट, प्राकृतिक मिठास और सुगंध के लिए जाने जाते हैं, खासकर ठंडी जलवायु में उगने वाले कश्मीरी और हिमाचली सेब।

तुर्की के सेब: अलग-अलग जलवायु क्षेत्रों में उगाए जाने के कारण उनके स्वाद और बनावट में भिन्नता हो सकती है। वे अक्सर मीठे और रसदार होते हैं।

4. कीमत:
भारतीय सेब: आमतौर पर तुर्की के सेबों की तुलना में थोड़े सस्ते होते हैं, खासकर जब वे सीजन में हों।

तुर्की के सेब: आयात और पैकेजिंग लागत के कारण इनकी कीमत भारतीय सेबों की तुलना में अधिक होती है।
 
तुर्की के सेबों का बहिष्कार केवल एक आर्थिक कदम नहीं, बल्कि भारत की एक मजबूत कूटनीतिक प्रतिक्रिया भी है। यह दर्शाता है कि भारत अपने भू-राजनीतिक हितों के खिलाफ किसी भी देश के साथ आर्थिक संबंधों को हल्के में नहीं लेगा। इस अभियान से भारतीय सेब उत्पादकों को भी लाभ मिलने की उम्मीद है, क्योंकि स्थानीय उत्पादों की मांग बढ़ेगी और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा।

 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

पाकिस्तान पर एक ओर वॉटर स्ट्राइक की तैयारी, क्या है चिनाब पर भारत का नया प्लान?