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तृणमूल कांग्रेस के 26 साल पूरे, बुजुर्ग बनाम नई पीढ़ी पर छिड़ी बहस

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कोलकाता , सोमवार, 1 जनवरी 2024 (18:05 IST)
Trinamool Congress completes 26 years : तृणमूल कांग्रेस का गठन हुए सोमवार को 26 साल पूरे होने के बीच इस बात को लेकर बहस छिड़ी हुई है कि क्या पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को युवा पीढ़ी के नेताओं के लिए रास्ता बनाना चाहिए? मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अनुभवी नेताओं का समर्थन कर रही हैं जबकि उनके भतीजे अभिषेक बुजुर्ग नेताओं की सेवानिवृत्ति की वकालत कर रहे हैं।
 
बुजुर्ग नेताओं बनाम नई पीढ़ी के नेताओं के बीच छिड़ी इस बहस के बीच मुख्यमंत्री बनर्जी ने पिछले महीने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का सम्मान किए जाने का आह्वान किया था जिसके बाद इस तरह के दावे खारिज हो गए थे कि बुजुर्ग नेताओं को राजनीति से सेवानिवृत्त किया जाना चाहिए।
 
तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने बढ़ती उम्र के साथ कार्यकुशलता में गिरावट का हवाला देते हुए कहा था कि राजनीति में सेवानिवृत्ति की उम्र होनी चाहिए। अभिषेक बनर्जी के करीबी माने जाने वाले पार्टी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने दावा किया कि पुराने और नए नेताओं के बीच कोई खींचतान नहीं है, लेकिन उन्होंने कहा कि पुराने नेताओं को यह पता होना चाहिए कि कहां रुकना है और उन्हें अगली पीढ़ी के नेताओं के लिए जगह बनाने की जरूरत है।
 
घोष के इस बयान पर हालांकि बहस तब तेज हो गई थी जब 70 वर्ष से अधिक उम्र के कई मौजूदा सांसदों, मंत्रियों और विभिन्न पदों पर आसीन कई वरिष्ठ नेताओं ने घोष की टिप्पणी का विरोध किया। तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा में पार्टी नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा, ममता बनर्जी पार्टी प्रमुख हैं, उनका निर्णय अंतिम है।
 
यदि उन्हें लगता है कि कोई सेवानिवृत्त होने लायक हो गया है, तो वह सेवानिवृत्त हो जाएगा और यदि उन्हें (ममता बनर्जी) लगता है कि ऐसा नहीं है तो वह व्यक्ति पार्टी के लिए काम करता रहेगा।
 
पार्टी के वरिष्ठ नेता बंदोपाध्याय (74) ने कहा कि इस बहस का कोई मतलब नहीं है क्योंकि पार्टी को युवा और वरिष्ठ सदस्यों दोनों की जरूरत है। इस तरह की भावनाओं को व्यक्त करते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता सौगत रॉय ने कहा, पार्टी के भीतर उम्र कोई समस्या नहीं है। वरिष्ठों और अगली पीढ़ी के नेताओं की भूमिकाओं पर अंतिम निर्णय ममता बनर्जी पर निर्भर है।
 
रॉय (76) ने कहा, वह (मुख्यमंत्री) ही तय करती हैं कि कौन चुनाव लड़ेगा या पार्टी में किस पद पर रहेगा। वह अंतिम प्राधिकारी हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, बंदोपाध्याय और रॉय दोनों उन नेताओं की सूची में शीर्ष पर हैं जिन पर पार्टी में प्रस्तावित आयु सीमा लागू होने पर प्रभाव पड़ सकता है। मुख्यमंत्री के बेहद करीबी माने जाने वाले वरिष्ठ मंत्री फिरहाद हाकिम ने भी कहा कि केवल वही (मुख्यमंत्री बनर्जी) अधिकतम आयु सीमा या ‘एक व्यक्ति-एक पद’ के प्रस्ताव पर निर्णय ले सकती हैं।
 
पार्टी सूत्रों ने कहा कि उम्रदराज नेताओं को बाहर करने और अभिषेक बनर्जी द्वारा चुने गए युवा नेताओं के लिए रास्ता बनाने के लिए उम्र सीमा और ‘एक व्यक्ति-एक पद’ की मांग बढ़ रही है। तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, बेहतर होता कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले यह बहस नहीं होती क्योंकि यह हमारी चुनावी संभावनाओं को प्रभावित कर सकती है।
 
राजनीतिक विशेषज्ञ विश्वनाथ चक्रवर्ती ने कहा कि यह बहस आगामी संसदीय चुनावों में पार्टी की संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकती है। उन्होंने कहा, तृणमूल कांग्रेस में पुराने और नए नेताओं की लड़ाई ने पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक नया आयाम जोड़ दिया है।
 
यदि इस बहस को तुरंत समाप्त नहीं किया गया तो इससे लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की संभावनाओं पर असर पड़ेगा। एक अन्य राजनीतिक विशेषज्ञ मैदुल इस्लाम ने कहा कि यह बहस निश्चित रूप से पार्टी नेतृत्व के लिए चिंता का विषय है। तृणमूल कांग्रेस का गठन एक जनवरी, 1998 को हुआ था। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour 

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