नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में श्री माता वैष्णोदेवी कटरा से बनिहाल तक के हिमालय के सबसे कठिन भौगोलिक क्षेत्र में निर्माणाधीन रेलवे लाइन जून 2022 तक तैयार हो जाएगी, जिस पर 100 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से ट्रेनें दौड़ेंगी तथा जम्मू से श्रीनगर तक की दूरी करीब 5 घंटे में तय हो सकेगी।
रेलवे के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार 111 किलोमीटर के इस खंड में 97 किलोमीटर की मुख्य सुरंगें और 66 किलोमीटर की सहायक या संरक्षा सुरंगें बनाईं जा रहीं हैं और इनमें से 70 किलोमीटर मुख्य सुरंगें एवं 42 किलोमीटर संरक्षा सुरंगें बनकर तैयार हो चुकी हैं।
यही नहीं इस रेल खंड पर 37 बड़े पुल निर्माणाधीन हैं, जिनमें से 19 बनकर तैयार हो चुके हैं जबकि बाकी पर तेजी से काम चल रहा है। इनमें चेनाब पर बनने का दुनिया का सर्वाधिक ऊंचाई वाला पुल भी शामिल है जिसका 82 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। दूसरा सबसे महत्वपूर्ण पुल अंजीखाड का है जो देश में केबल पर बनने वाला पहला रेल पुल होगा।
सूत्रों के अनुसार विश्व के सबसे ऊंचे धरातल पर बनने वाली इस रेलवे लाइन का 87 प्रतिशत हिस्सा सुरंगों का है। यदि संरक्षा सुरंगों की लंबाई को जोड़ दिया जाए तो 111 किलोमीटर की रेल लाइन के लिए 163 किलोमीटर सुरंगें बनाई जा रहीं हैं। इस रेल खंड की सबसे लंबी सुरंग 12.75 किलोमीटर लंबी है जो कटरा के समीप है।
सूत्रों के अनुसार इस रेल खंड पर बनकर तैयार हो चुके पुलों एवं सुरंगों में पटरियां बिछाने का काम शुरू हो चुका है। सूत्रों ने यह भी बताया कि इस खंड पर 13 स्टेशन एवं हाल्ट-चारील, रेपोर, लोले, कोहली, संगल्दन सुरंग (7 किलो मीटर), संगल्दन, बरल्ला, सुरुकोट, बक्कल, चेनाब पुल, सलाल, अंजी खाद पुल और रियासी होंगे तथा रेल पटरियों पर ट्रेनें 100 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से दौड़ सकेंगी। इस मार्ग को विद्युतीकृत भी किया जाएगा जिससे यातायात बहुत सुचारू रूप से चलेगा।
कटरा-बानिहाल रेलखंड पूरा होते हुए कश्मीर घाटी शेष भारत से रेल संपर्क से जुड़ जाएगी और कश्मीर से कन्याकुमारी तक रेल यात्रा सुलभ हो जाएगी। सूत्रों ने बताया कि जम्मू से श्रीनगर तक 281 किलोमीटर लंबे रेल मार्ग से लगभग 5 घंटे में पहुंचा जा सकेगा जबकि वर्तमान में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 44 से 295 किलोमीटर की यात्रा सड़क द्वारा करीब 8 घंटे में पूरी होती है।