श्रीनगर। सुरक्षाबलों ने दक्षिण कश्मीर के संबूरा पांपोर में करीब सात घंटे चली मुठभेड़ में जैश ए मोहम्मद के साढ़े तीन फुट के डिवीजनल कमांडर नूरा त्राली समेत दो आतंकियों को मार गिराया है। मुठभेड़ के दौरान आतंकी ठिकाना बना मकान भी पूरी तरह तबाह हो गया। इस दौरान एक सुरक्षाकर्मी के शहीद होने की सूचना भी है, लेकिन आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।
नूरा त्राली के मारे जाने के साथ ही जैश ए मोहम्मद द्वारा श्रीनगर-अनंतनाग राष्ट्रीय राजमार्ग और श्रीनगर शहर में एक बड़े आतंकी हमले की रची जा रही साजिश भी नाकाम हो गई है। राज्य पुलिस महानिदेशक डॉ. एसपी वैद ने भी सुबह ट्वीट कर बताया कि घेराबंदी में दो से तीन आतंकी फंसे थे। एक आतंकी का शव मिला है। अन्य की तलाश जारी है।
यहां मिली जानकारी के अनुसार, जिला पुलवामा के अंतर्गत पांपोर के साथ सटे संबूरा इलाके में जैश ए मोहम्मद के आतंकियों के छिपे होने की सूचना मिलते ही सुरक्षाबलों ने सोमवार को रात साढ़े ग्यारह बजे एक कासो चलाया और आधी रात के करीब मुठभेड़ शुरू हो गई। जवानों ने गोलियां बरसा रहे आतंकियों को कई बार आत्मसमर्पण की चेतावनी दी, लेकिन आतंकी नहीं माने।
तड़के ढाई बजे के करीब आतंकी ठिकाना बने मकान में दो जबरदस्त धमाके भी हुए। संबंधित अधिकारियों ने बताया कि आज सुबह सात बजे आतंकियों की तरफ से अंतिम गोली चली। इसके बाद जब मलबे के ढेर में बदले आतंकी ठिकाने की तलाशी ली गई तो मलबे में दबे एक आतंकी का शव मिला। मारे गए आतंकी की पहचान नूर मोहम्मद तांत्रे उर्फ नूरा त्राली के रूप में हुई है। वह अरिपाल त्राल का रहने वाला था। फिलहाल उसके साथ मुठभेड़ में मारे गए अन्य आतंकियों के शवों की तलाश की जा रही है।
नूर मोहम्मद तांत्रे करीब पांच माह पहले ही जैश ए मोहम्मद में सक्रिय हुआ है। वह वर्ष 2000 से आतंकी गतिविधियों में सक्रिय है और वर्ष 2003 में दिल्ली में आतंकी साजिशों को अंजाम देने के सिलसिले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था। वह जुलाई 2015 में पैरोल पर छूटा था और उसके बाद से लगातार अपना पैरोल बढ़वा रहा था, लेकिन इसी साल 14 जुलाई को वह अचानक घर से लापता हो, दोबारा जैश ए मोहम्मद के साथ जा मिला।
2003 में दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जा चुका नूर मोहम्मद साल 2015 में पैरोल पर रिहा किया गया था जिसके बाद वह दक्षिण कश्मीर में रह रहा था। सूत्रों के मुताबिक, त्राल में पैदा हुआ नूर मोहम्मद आतंक के उसी गढ़ में अपनी साजिशों को अंजाम देता था, जहां हिजबुल मुजाहिदीन का कमांडर बुरहान वानी रहा करता था। बुरहान और नूर मोहम्मद दोनों ही त्राल के रहने वाले थे और अपने खात्मे के वक्त दोनों ही इसी इलाके में सक्रिय थे।
नूर मोहम्मद तांत्रे उर्फ नूरा त्राली छोटे कद का था और उसकी ऊंचाई मात्र साढ़े तीन फुट के करीब थी, लेकिन वह अत्यंत कट्टर आतंकी था। आतंकी संगठन में दोबारा सक्रिय होने के चंद ही दिनों बाद वह जैश ए मोहम्मद का दक्षिण कश्मीर में डिवीजनल कमांडर बन गया। उसे सुरक्षाबलों ने डबल ए श्रेणी का आतंकी घोषित करते हुए उसके जिंदा अथवा मुर्दा पकड़े जाने पर 10 लाख का इनाम घोषित कर रखा था।
आतंकी संगठन में दोबारा सक्रिय होने के बाद ही नूरा त्राली ने जैश की गतिविधियों में तेजी लाना शुरु की थी। गत 21 सितंबर को त्राल में राज्य के पीडब्लयूडी मंत्री नईम अख्तर के काफिले पर ग्रेनेड हमले की साजिश भी उसने ही रची थी। यह ग्रेनेड गुलजार नामक आतंकी ने फेंका था। इस हमले में दो नागरिकों की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि 30 अन्य जख्मी हुए थे।
इसके बाद तीन अक्टूबर को श्रीनगर एयरपोर्ट के साथ सटे बीएसएफ शिविर में हुए जैश के आत्मघाती हमले की साजिश में भी नूरा त्राली शामिल था। उसने अपने एक अन्य स्थानीय सूत्र की मदद से तीन हमलावर विदेशी आतंकियों को शिविर तक पहुंचाया था। हमले में बीएसएफ का एक जवान शहीद हो गया था। जवाबी कार्रवाई में तीनों आतंकी भी मारे गए थे।