Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

'रोड रेज' मामले में नवजोत सिद्धू से सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब

हमें फॉलो करें 'रोड रेज' मामले में नवजोत सिद्धू से सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब
, शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2022 (23:07 IST)
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू को एक आवेदन पर 2 सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है जिसमें कहा गया है कि लगभग 32 साल पुराने 'रोड रेज' मामले में उनकी सजा केवल जानबूझकर चोट पहुंचाने के अपराध के लिए कम नहीं की जानी चाहिए।

उच्चतम न्यायालय 1988 के रोड रेज मामले में क्रिकेटर से नेता बने सिद्धू को मई 2018 में दी गई सजा की समीक्षा से संबंधित मामले की सुनवाई कर रहा है। न्यायालय ने सिद्धू को 65 वर्षीय बुजुर्ग को ‘जानबूझकर चोट पहुंचाने’ का दोषी करार दिया था, लेकिन उन्हें जेल की सजा नहीं सुनाई और सिर्फ 1000 रुपए का जुर्माना लगाया था।

बाद में सितंबर 2018 में, उच्चतम न्यायालय ने मृतक के परिवार के सदस्यों द्वारा दायर एक समीक्षा याचिका की जांच करने के लिए सहमति व्यक्त की और नोटिस जारी किया। न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति एसके कौल की पीठ के समक्ष यह मामला सुनवाई के लिए आया।

एक याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि उन्होंने एक आवेदन दायर कर नोटिस का दायरा बढ़ाने की मांग की है। उन्होंने शीर्ष अदालत के पहले के एक फैसले का हवाला दिया और कहा कि एक स्पष्ट निश्चय है कि जो व्यक्ति मौत का कारण बनता है उसे चोट की श्रेणी में अपराध के लिए दंडित नहीं किया जा सकता है और न ही उसे दंडित किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, इस मामले में दोषसिद्धि को घटाकर 323 (आईपीसी की धारा 323) करने और जुर्माना लगाने की कृपा की गई है। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा शीर्ष अदालत द्वारा विचार करने योग्य है। भारतीय दंड संहिता की धारा 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाने की सजा) के तहत दोषी को अधिकतम एक साल कैद, 1000 रुपए का जुर्माना या दोनों की सजा सुनाई जा सकती है।

कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष सिद्धू की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पी. चिदंबरम ने कहा कि पुनर्विचार याचिका पर अदालत  द्वारा जारी नोटिस केवल सजा की मात्रा तक ही सीमित है। चिदंबरम ने कहा, मेरे दोस्त आज समीक्षा का दायरा बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं और वह फैसले के गुण-दोष की आलोचना कर रहे हैं।

पीठ ने कहा कि पूरे मामले की फिर से सुनवाई की जरूरत नहीं है, लेकिन उसे याचिकाकर्ता द्वारा दायर आवेदन पर विचार करना  होगा। पीठ ने आवेदन पर जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया और मामले को दो सप्ताह के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

उच्चतम न्यायालय ने 15 मई, 2018 को सिद्धू को गैर इरादतन हत्या का दोषी करार देते हुए तीन साल कैद की सजा सुनाने का पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का फैसला निरस्त कर दिया था। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कांग्रेस नेता को वरिष्ठ नागरिक को चोट पहुंचाने का दोषी पाया था।(भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

इंडोनेशिया में 6.2 तीव्रता का भूकंप, 7 लोगों की मौत, 85 अन्य घायल