नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह देश में बाघों की कथित मौत के बारे में उसे जानकारी उपलब्ध कराए। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के अनुसार, भारत में 2012 के बाद से 1059 बाघों की मौत हुई है, जिसमें सबसे अधिक मौतें (270) मध्य प्रदेश में दर्ज की गई हैं।
न्यायमूर्ति केएम जोसेफ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने बाघों की मौत के बारे में समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों का संज्ञान लेते हुए यह जानकारी तलब की। शीर्ष अदालत अधिवक्ता अनुपम त्रिपाठी की ओर से 2017 में दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें लुप्तप्राय: बाघों को बचाने की मांग की गई थी।
पीठ ने कहा, यद्यपि याचिकाकर्ता मौजूद नहीं हैं, प्रतिवादी भारत में बाघों की कथित मौत के बारे में पता लगाएंगे। मामले को तीन सप्ताह के बाद सूचीबद्ध करें। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के अनुसार, भारत में 2012 के बाद से 1059 बाघों की मौत हुई है, जिसमें सबसे अधिक मौतें (270) मध्य प्रदेश में दर्ज की गई हैं।
केंद्र ने 27 जनवरी को शीर्ष अदालत को अवगत कराया था कि वर्ष 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में 53 बाघ अभयारण्यों में 2967 बाघ हैं। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने पीठ को बताया था कि बाघों के संरक्षण और उनकी आबादी बढ़ाने के लिए काफी काम किया गया है।
शीर्ष अदालत ने उस याचिका पर पर्यावरण मंत्रालय, राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को नोटिस जारी किए थे, जिसमें बाघ अभयारण्य के पास रहने वाले लोगों को स्थानांतरित करने की भी मांग की गई थी।
याचिका में कहा गया था कि बाघ या तो स्थानीय लोगों या अधिकारियों द्वारा ज़हर देकर, वन रक्षकों द्वारा गोली मारकर या अवैध शिकार करके मारे जा रहे हैं।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)