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सिर्फ मनोरंजन के लिए ताश खेलना अनैतिक आचरण नहीं : सुप्रीम कोर्ट

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

नई दिल्ली , रविवार, 25 मई 2025 (19:58 IST)
Karnataka News : उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक में एक सहकारी समिति में एक व्यक्ति के निर्वाचन को बहाल करते हुए कहा कि सट्टेबाजी और जुए के तत्व के बिना मनोरंजन के लिए ताश खेलना अनैतिक आचरण नहीं है। पीठ ने कहा, ताश खेलने के कई प्रकार हैं। यह स्वीकार करना कठिन है कि इस तरह के खेल के हर रूप में नैतिक पतन शामिल होगा, खासकर जब इसे मनोरंजन के लिए खेला जाता है। वास्तव में, हमारे देश के अधिकांश भागों में, जुआ या शर्त के बिना, ताश खेलना, गरीब लोगों के मनोरंजन के स्रोत के रूप में स्वीकार किया जाता है।
 
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने इस बात पर गौर किया कि ‘गवर्नमेंट पोर्सिलेन फैक्टरी एम्प्लाइज हाउसिंग को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड’ के निदेशक मंडल में निर्वाचित हनुमंतरायप्पा वाईसी जब कुछ अन्य लोगों के साथ सड़क किनारे बैठकर ताश खेलते पकड़े गए, तो उन पर बिना किसी सुनवाई के 200 रुपए का जुर्माना लगाया गया।
पीठ ने कहा, वस्तुस्थिति को देखते हुए, हमें यह कहना कठिन लगता है कि अपीलकर्ता पर लगाया गया कदाचार का आरोप नैतिक पतन की श्रेणी में आता है। यह सर्वविदित है कि नैतिक पतन शब्द का प्रयोग कानूनी और सामाजिक भाषा में ऐसे आचरण का वर्णन करने के लिए किया जाता है, जो स्वाभाविक रूप से नीच, भ्रष्ट या किसी तरह से भ्रष्टता दिखाने वाला हो। हर वह कार्य जिसके खिलाफ कोई आपत्ति उठा सकता है, जरूरी नहीं कि उसमें नैतिक पतन शामिल हो।
 
यह देखते हुए कि हनुमंतरायप्पा आदतन जुआरी नहीं हैं, पीठ ने कहा, ताश खेलने के कई प्रकार हैं। यह स्वीकार करना कठिन है कि इस तरह के खेल के हर रूप में नैतिक पतन शामिल होगा, खासकर जब इसे मनोरंजन के लिए खेला जाता है। वास्तव में, हमारे देश के अधिकांश भागों में, जुआ या शर्त के बिना, ताश खेलना, गरीब लोगों के मनोरंजन के स्रोत के रूप में स्वीकार किया जाता है। शीर्ष अदालत ने कहा कि हनुमंतरायप्पा को सहकारी समिति के निदेशक मंडल में सर्वाधिक मतों से चुना गया था और उनके निर्वाचन को रद्द करने की सजा उनके द्वारा किए गए कदाचार की प्रकृति के अनुपात में बेहद असंगत है।
पीठ ने 14 मई के अपने आदेश में कहा, उपरोक्त कारणों से, हम इस बात से संतुष्ट हैं कि अपीलकर्ता के विरुद्ध की गई कार्रवाई को सही नहीं ठहराया जा सकता। इसलिए अपील स्वीकार की जाती है। न्यायालय ने सहकारी समिति के निदेशक पद से हनुमंतरायप्पा को हटाने के निर्णय को बरकरार रखने वाले कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को खारिज कर दिया। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour

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