सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अदालतों में बैठे न्यायाधीश भी कर सकते हैं गलतियां
शीर्ष न्यायालय ने कहा कि अपील की सुनवाई करने के बाद जब उच्च न्यायालय संतुष्ट हो जाए कि अपील में कानून का मूलभूत प्रश्न शामिल है तब इसे प्रतिवादी को नोटिस जारी करने का निर्देश देना होगा।
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि किसी आदेश में संभावित त्रुटि को दूर करने के लिए अपील एक न्यायिक पड़ताल है और कानून अपील करने का यह उपाय उपलब्ध कराता है क्योंकि अदालतों में बैठे न्यायाधीश भी गलतियां कर सकते हैं।
न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने ओडिशा उच्च न्यायालय के एक आदेश को निरस्त करते हुए यह कहा। उच्च न्यायालय ने कारण बताए बगैर एक वाद को शुरुआत में ही खारिज कर दिया था।
पीठ ने कहा कि एक अपील, किसी अधीनस्थ अदालत के आदेश में कोई संभावित त्रुटि को सुधार करने के लिए एक उच्चतर अदालत द्वारा एक पड़ताल है। कानून अपील करने का यह उपाय इस मान्यता को लेकर उपलब्ध कराता है कि अदालतों में बैठे न्यायाधीश भी गलतियां कर सकते हैं।
शीर्ष न्यायालय ने कहा कि अपील की सुनवाई करने के बाद जब उच्च न्यायालय संतुष्ट हो जाए कि अपील में कानून का मूलभूत प्रश्न शामिल है तब इसे प्रतिवादी को नोटिस जारी करने का निर्देश देना होगा।
पीठ ने कहा कि ऐसी स्थिति में, जब अपील में कानून का कोई मूलभूत प्रश्न नहीं हो, उच्च न्यायालय के पास उसे खारिज करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। हालांकि, अपील में कोई ठोस कानून शामिल नहीं है, इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए उच्च न्यायालय को कारण बताना होगा।
शीर्ष न्यायालय ने कहा कि उक्त मामले में उच्च न्यायालय ने अपील खारिज करने के लिए कोई कारण नहीं बताया था और इसलिए आदेश को निरस्त करने की जरूरत है।