नई दिल्ली। मध्यप्रदेश हाई कोर्ट द्वारा पीड़िता से राखी बंधवाने की शर्त के साथ यौन उत्पीड़न के आरोपी को जमानत देने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने जजों के सेंसटाइजेशन के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल सहित कई दिशा-निर्देश जारी कर जजों से किसी भी प्रकार के स्टीरियो टाइपिंग से बचने के लिए कहा है।
महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में हाई कोर्ट और निचली अदालतों के जजों से स्टीरियो टाइप टिप्पणियां करने से बचने को कहा है। इसके साथ ही मध्यप्रदेश हाई कोर्ट द्वारा पीड़िता के घर जाकर उससे राखी बंधवाने की शर्त पर यौन उत्पीड़न के आरोपी को जमानत देने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया।
घटना 20 अप्रैल 2020 की है। पड़ोस में रहने वाली महिला के घर में घुसकर छेड़छाड़ के आरोप में जेल में बंद विक्रम बागरी ने इंदौर में जमानत याचिका दायर की थी। 30 जुलाई को मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने छेड़छाड़ के आरोपी को इस शर्त पर जमानत दी थी कि आरोपी रक्षाबंधन पर पीड़िता के घर जाकर उससे राखी बंधवाएगा और रक्षा का वचन देगा।
आरोपी को पुलिस ने 2 जून 2020 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था तथा तब से ही वह जेल में बंद था। जस्टिस रोहित आर्या की सिंगल बेंच ने सभी पक्षों के तर्क सुनने के बाद आरोपी को 50 हजार के मुचलके के साथ जमानत देकर पीड़िता से राखी बंधवाने का फैसला सुनाया था।