नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र विधानसभा में गुरुवार को विधायकों की संख्या बल के 'शक्ति परीक्षण' के राज्यपाल के फैसले में दखल देने से बुधवार को साफतौर पर इनकार कर दिया। न्यायालय के इस फैसले के बाद उद्धव ठाकरे ने इस्तीफे का ऐलान कर दिया है।
शीर्ष अदालत ने हालांकि अन्य याचिकाओं की सुनवाई के बाद जेल में बंद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता एवं राज्य के मंत्री नवाब मलिक और पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख की अर्जी स्वीकार करते हुए गुरुवार को होने होने वाले शक्ति परीक्षण में उन्हें शामिल होने की इजाजत दे दी।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की अवकाशकालीन पीठ ने संबंधित पक्षों की घंटों दलीलें सुनने के बाद करीब रात 9 बजे अपना फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने शक्ति परीक्षण पर अपना फैसला सुनाने के कुछ समय बाद ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के दोनों नेताओं को गुरुवार को होने वाले शक्ति परीक्षण में शामिल होने की अनुमति देने संबंधी अपना फैसला सुनाया। इसके लिए अलग-अलग याचिका दायर की गई थी।
महाराष्ट्र विधानसभा में विधायकों के संख्या बल का शक्ति परीक्षण विवाद पर संबंधित पक्षों के वकीलों ने जोरदार दलीलें दीं। न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली अवकाशकालीन पीठ के समक्ष राज्यपाल की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता और सत्ताधारी शिवसेना की ओर से डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने दलीलें दीं।
इससे पहले दिन में शिवसेना का पक्ष रख रहे डॉ. सिंघवी की शीघ्र सुनवाई की गुहार स्वीकार करते हुए कहा था कि वह इस (शक्ति परीक्षण पर रोक लगाने की मांग संबंधी) याचिका पर में शाम पांच बजे सुनवाई करेगी।
वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. सिंघवी ने विशेष उल्लेख के दौरान पीठ के समक्ष उद्धव ठाकरे समर्थक समूह की ओर से दायर याचिका के तथ्यों का हवाला देते हुए तत्काल सुनवाई की गुहार लगाई थी। उन्होंने कहा था कि कल पूर्वाहन 11 बजे शक्ति परीक्षण होना है। लिहाजा उनकी (शिवसेना सदस्य की) इस याचिका पर तत्काल सुनवाई की जाए।
उन्होंने तर्क देते हुए कहा था कि शिवसेना के बागी एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले विधायकों के समूह को अवैध शक्ति परीक्षण में वोट नहीं करने देना चाहिए। शिंदे गुट की ओर से वरिष्ठ वकील नीरज किशन कौल ने डॉक्टर सिंघवी के पीठ से अनुरोध का विरोध किया लेकिन पीठ ने कहा था कि शक्ति परीक्षण से पहले मामले की सुनवाई करनी होगी।
पीठ ने कहा था, हम फैसला पक्ष में करें या नहीं, उनकी सुनवाई से इनकार नहीं किया जा सकता। तत्काल सुनवाई की अनुमति दी जानी चाहिए। शिवसेना के भरोसेमंद नेताओं में शामिल महाराष्ट्र के मंत्री एकनाथ शिंदे और कई विधायकों के एक समूह के महाराष्ट्र छोड़ने के बाद राज्य में राजनीतिक संकट गहराया हुआ है, शिवसेना के बागी विधायकों की अच्छी खासी संख्या है। ये विधायक पहले गुजरात के सूरत और वहां से असम में गुवाहाटी चले गए थे। वे वहां एक सप्ताह से अधिक समय से हैं।
माना जाता है कि शिंदे समूह कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ शिवसेना के गठबंधन से नाराज है। विद्रोही गुट का दावा है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना पार्टी के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के सिद्धांतों के खिलाफ कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस से गठबंधन किया हुआ है। विद्रोही गुट खुद को शिवसेना (बालासाहेब) बता रहा है।(वार्ता)