सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कश्मीर में इंटरनेट बैन पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि पूरे इंटरनेट पर प्रतिबंध को बेहद सख्त कदम बताया। अदालत ने कहा कि सरकार कश्मीर में लगी सभी पाबंदियों पर एक हफ्ते में विचार करे।
अदालत ने कहा कि पूरे इंटरनेट पर प्रतिबंध तभी लग सकता है जब सुरक्षा पर गंभीर खतरा हो। इसकी एक समय सीमा होना चाहिए। लोकतंत्र में फ्रीडम ऑफ स्पीच जरूरी हथियार है। फ्रीडम ऑफ इंटरनेट एक्सेस संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (A) के तहत एक मौलिक अधिकार है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सरकार को कोई भी आदेश देने से पहले संतुलन बनाना चाहिए। सरकार अपने सभी आदेशों को प्रकाशित करें। मेडिकल जैसी आपातकालिन सेवाओं में कोई बाधा ना आएं।
शीर्ष अदालत ने कहा कि लोगों को असहमति जताने का पूरा हक है। धारा 144 लगाते समय भी विचार जरूरी है। सरकार अपने सभी आदेश दोबारा देखें और गैर जरूरी आदेश वापस लिए जाएं।