नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने चुनावी हलफनामे में तथ्य छुपाने को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अयोग्य ठहराए जाने संबंधी याचिका पर सोमवार को चुनाव आयोग से जवाब तलब किया।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने पेशे से वकील मनोहरलाल शर्मा की याचिका की सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग को नोटिस जारी करके पूछा कि आखिर क्यों न कुमार की विधान परिषद की सदस्यता समाप्त कर दी जाए? न्यायालय ने जवाब के लिए 4 हफ्ते का समय दिया है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि कुमार ने अपने चुनावी दस्तावेजों में उनके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज होने की जानकारी नहीं दी। याचिका में शर्मा ने मांग की है कि बिहार के मुख्यमंत्री को विधान पार्षद पद से अयोग्य घोषित कर देना चाहिए, क्योंकि उन्होंने 2004 और 2012 में चुनावी दस्तावेज जमा कराते समय अपनी आपराधिक जानकारी छुपाई।
याचिका में आगे दावा किया गया कि नीतीश ने अपने कार्यकाल की संवैधानिक ताकत के चलते 1991 के बाद से ही गैरजमानती अपराध में जमानत तक नहीं ली और साथ ही 17 साल बाद मामले में पुलिस से क्लोजर रिपोर्ट भी फाइल करवा ली। कुमार के खिलाफ जांच का आदेश देने की मांग भी याचिका में की गई है।
वकील ने याचिका के जरिए न्यायालय से अपील की है कि वे इस तरह का आदेश जारी करें कि अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी या आपराधिक मामला दर्ज है तो वह किसी भी संवैधानिक पद पर न बैठ पाए। (वार्ता)