नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के आरोपी एक लोक सेवक से पूछा कि क्या वह लड़की से शादी करने को तैयार है। शीर्ष अदालत को बताया गया कि आरोपी पहले से विवाहित है तो पीठ ने उसे नियमित जमानत के लिए संबंधित अदालत का रुख करने को कहा।
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे के नेतृत्व वाली पीठ महाराष्ट्र राज्य बिजली उत्पादन कंपनी में कार्यरत एक तकनीकविद् द्वारा दाखिल एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। आरोपी ने मामले में अग्रिम जमानत रद्द करने के बंबई उच्च न्यायालय के पांच फरवरी के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था।
पीठ में न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन भी थे। सुनवाई शुरू होने पर पीठ ने आरोपी से पूछा, क्या तुम उससे (लड़की से) शादी करना चाहते हो। पीठ ने कहा, अगर तुम शादी करने के इच्छुक हो तो हम इस पर विचार कर सकते हैं अन्यथा तुम्हें जेल जाना होगा। साथ ही पीठ ने जोड़ा, हम शादी के लिए दबाव नहीं डाल रहे।
पीठ द्वारा सवाल पूछे जाने पर याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वकील ने कहा कि आरोपी पहले लड़की से शादी करना चाहता था लेकिन उसने मना कर दिया तो उसने किसी दूसरी लड़की से शादी कर ली। वकील ने जब कहा कि आरोपी लोकसेवक है, इस पर पीठ ने कहा, आपको (आरोपी को) लड़की को फुसलाने और दुष्कर्म करने से पहले यह सब विचार करना चाहिए था। आपको पता है कि आप एक सरकारी सेवक हैं।
वकील ने कहा कि मामले में अभी आरोप तय नहीं हुआ है। पीठ ने कहा, आप नियमित जमानत की अर्जी दे सकते हैं। हम गिरफ्तारी पर रोक लगाएंगे। शीर्ष अदालत ने आरोपी को चार सप्ताह के लिए गिरफ्तारी से राहत प्रदान की।
निचली अदालत द्वारा दी गई अग्रिम जमानत को रद्द किए जाने के बंबई उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ आरोपी की याचिका पर शीर्ष अदालत सुनवाई कर रही थी। व्यक्ति पर यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत दंडनीय आरोप भी लगाए गए हैं।(भाषा)