नई दिल्ली। गुजरात में 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों की पीड़िता बिलकिस बानो की रिव्यू पीटीशन सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट अब बिलकिस बानो के दोषियों की समय से पहले रिहाई पर कोई विचार नहीं करना चाहता।
शीर्ष अदालत के सहायक पंजीयक द्वारा बानो की वकील शोभा गुप्ता को भेजे गए संदेश में कहा गया है कि मुझे आपको यह सूचित करने का निर्देश दिया गया है कि उच्चतम न्यायालय में दायर उक्त पुनरीक्षण याचिका 13 दिसंबर 2022 को खारिज कर दी गई।
बिलकिस बानो ने अपनी याचिका में 11 दोषियों को रिहा करने के फैसले को चुनौती दी थी और मई 2022 के फैसले पर पुनर्विचार करने की गुहार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने उस फैसले में कहा था कि गुजरात सरकार के पास 11 दोषियों की क्षमा आवेदनों पर फैसला करने का अधिकार है।
गुजरात सरकार ने इन सभी की सजा माफ करते हुए उन्हें 15 अगस्त को रिहा कर दिया था। इससे पहले बिलकीस बानो की याचिका पर सुनवाई से जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने खुद को अलग कर लिया था।
इन लोगों ने गोधरा ट्रेन कांड के बाद हुए दंगों में बिलकिस से सामूहिक बलात्कार किया था और उसके परिवार के 7 लोगों की हत्या कर दी थी। घटना के वक्त बिलकिस 21 वर्ष की थी और 5 माह की गर्भवती थी।