नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने सोमवार को हिमाचल प्रदेश के सोलन के महापौर पद के लिए नए चुनाव पर रोक लगा दी और निवर्तमान महापौर उषा शर्मा को अयोग्य ठहराए जाने को पुरुष पक्षपात का मामला करार दिया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने शर्मा और पूर्व महापौर पूनम ग्रोवर की याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें उनकी अयोग्यता को बरकरार रखने के उच्च न्यायालय के 25 जून के आदेश को चुनौती दी गई है।
पीठ ने सरकार द्वारा अधिसूचित महापौर और पार्षद के एक पद के लिए नए चुनावों को स्थगित रखने का आदेश देते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि यह पुरुष पक्षपात का मामला है। पार्षदों ने महापौर पद के लिए एक महिला को चुना और एक पुरुष उम्मीदवार हार गया। इसलिए सभी एक साथ आ गए। कभी नहीं सोचा था कि हिमाचल प्रदेश में ऐसा पक्षपात होगा।
पीठ ने शर्मा और ग्रोवर, जो नगर निगम के वार्ड संख्या 12 और 8 की पार्षद थीं, को अयोग्य ठहराने वाली 10 जून की अधिसूचना को बरकरार रखते हुए उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए तर्क की भी आलोचना की। शर्मा और ग्रोवर दोनों को सरकार ने सात दिसंबर, 2023 को महापौर और उप महापौर के चुनाव के दौरान पार्टी के निर्देशों की अवहेलना करने के लिए हिमाचल प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1994 के प्रावधानों के तहत अयोग्य घोषित कर दिया था।
2020 में स्थापित सोलन नगर निगम के चुनाव पार्टी लाइन पर होते हैं। नगर निकाय में 17 वार्ड हैं और इन वार्डों के लिए पहला चुनाव अप्रैल 2021 में हुआ था। चुनाव के बाद महापौर और उप महापौर को अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार ढाई साल की अवधि के लिए चुना गया था।
महापौर और उप महापौर का कार्यकाल 15 अक्टूबर 2023 को समाप्त होने के बाद, अगले महापौर और उप महापौर के चुनाव के लिए पिछले साल सात दिसंबर को मतदान हुआ था। कांग्रेस पार्टी की शर्मा ने महापौर पद पर जीत हासिल की, जबकि भाजपा की मीरा आनंद उप महापौर चुनी गईं।
कांग्रेस पार्षदों की आंतरिक कलह के बीच जिला कांग्रेस अध्यक्ष और एक पार्षद ने शिकायत की कि शर्मा, ग्रोवर और कुछ अन्य ने मेयर चुनाव के दौरान पार्टी के निर्देशों के खिलाफ जाकर पार्टी उम्मीदवार सरदार सिंह ठाकुर के खिलाफ मत डाला। उन्होंने हिमाचल प्रदेश नगर निगम अधिनियम की धारा 8सी के तहत दलबदल के आधार पर शर्मा, ग्रोवर और कुछ अन्य पार्षदों को अयोग्य ठहराने की मांग की।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta