जम्मू कश्मीर में दर्जनभर से ज्यादा आत्मघाती हमलावरों की दहशत

सुरेश एस डुग्गर
श्रीनगर। जम्मू कश्मीर दहशत में है। यह दहशत उन फिदायीनों को लेकर है जो फिलहाल सुरक्षाबलों की गिरफ्त से बाहर हैं। इन फिदायीनों की संख्या दर्जनभर के करीब बताई जाती है और उनके प्रति महत्वपूर्ण बात यह है कि वे जैश-ए-मुहम्मद नामक उस संगठन से जुड़े हुए हैं, जिसने कश्मीर में सबसे पहले मानव बम की शुरुआत की थी और जिसके सदस्य जम्मू कश्मीर में अभी तक कई भयानक फिदायीन हमलों को अंजाम दे चुके हैं।
 
श्रीनगर एयरपोर्ट के बाहरी किनारे पर स्थित बीएसएफ की बटालियन पर हुए आत्मघाती हमले के बाद ही राज्य पुलिस के अधिकारियों ने यह खुलासा किया था कि एयरपोर्ट के आसपास के इलाके में चार स्तरीय सुरक्षा को भेदने वाले मारे गए तीनों फिदायीन जैश-ए-मुहम्मद संगठन के अफजल गुरु स्क्वाड का हिस्सा थे। इसी स्क्वाड के कुछ सदस्यों को जम्मू के नगरोटा स्थित 16वीं कोर के इलाके में हमला बोलने के बाद मार गिराया गया था। इसी स्क्वाड ने पुलवामा में भी पुलिस लाइन पर हमला बोल 8 पुलिस वालों को भी मार डाला था।
 
हालांकि श्रीनगर एयरपोर्ट के बाहर बीएसएफ के शिविर पर हमला बोलने वाले यह तीनों फिदायीन अधिक क्षति तो नहीं पहुंचा पाए पर जिस तरह से उन्होंने चार स्तरीय सुरक्षा को भेदने में कामयाबी पाई वह चौंकाने वाली थी। यह सच है कि नगरोटा में कोर हेडक्वार्टर पर हुए हमले में सेना को भी भारी क्षति उठानी पड़ी थी जिसमें 2 अफसरों समेत 9 जवान मारे गए थे।
 
तीनों ही हमलों में संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु को दी गई फांसी का बदला लेने के लिए तैयार किए गए अफजल गुरु स्क्वाड के सदस्य शामिल थे और पुलिस आप कहती फिर रही है कि उसके कम से 10-12 सदस्य अभी गिरफ्त से बाहर हैं। पुलिस के बकौल, जल्द ही उन्हें भी मार गिराया जाएगा। हालांकि वह इसके प्रति सुनिश्चित नहीं है कि बाकी के सदस्य कहां पर हैं। कुछ खबरें उनके जम्मू कश्मीर में और कुछ खुफिया अधिकारी उनके दिल्ली तक पहुंच जाने की बात कहते थे।
 
अफजल गुरु स्क्वाड के बाकी बचे हुए फिदायीन चाहे जहां भी हों पर उनकी मौजूगी की खबर ने दहशत जरूर फैलाई है। यह दहशत उस सच्चाई के कारण भी है जिसके प्रति राज्य का बच्चा-बच्चा वाकिफ है कि फिदायीनों के हमलों को आज तक इसलिए नहीं रोका जा सका है क्योंकि वे आत्महत्या करने के लिए आए होते हैं और उनका मकसद मरने से पहले अधिक से अधिक को मौत देना होता है। इसे खुद बीएसएफ के डीजीपी तथा राज्य के उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह भी डंके की चोट पर कहते फिर रहे हैं।
 
ऐसे में जबकि राज्य ही बल्कि बल्कि देशभर में त्योहार का वातावरण है भयानक फिदायीनों के प्रति और उनके इरादों के प्रति किए जाने वाले रहस्योद्घाटन सिवाय दहशत फैलाने के कुछ भी नहीं कर रहे। 
 
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