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कैसे बनी प्लूटो की सतह; वैज्ञानिकों ने किया खुलासा

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, शुक्रवार, 17 दिसंबर 2021 (18:38 IST)
नई दिल्ली, वैज्ञानिकों ने एक नई अंतर्दृष्टि का खुलासा किया है, जिससे पता चलता है कि बौने ग्रह प्लूटो की सतह का निर्माण कैसे हुआ होगा।

एक्सेटर विश्वविद्यालय, इंग्लैंड के डॉ एड्रियन मॉरिसन समेत अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं की एक टीम ने दिखाया है कि प्लूटो के सबसे बड़े क्रेटर्स में शामिल स्पूतनिक प्लैनिटिया में विशाल बर्फ रूपों को कैसे आकार मिला है।

अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि प्लूटो की सतह पर सबसे महत्वपूर्ण विशेषता स्पूतनिक प्लैनिटिया का एक इम्पैक्ट क्रेटर होना है, जिसमें एक मैदान है, जो फ्रांस से थोड़ा बड़ा है, और जो नाइट्रोजन बर्फ से भरा हुआ है।

इस नये अध्ययन में शोधकर्ताओं ने परिष्कृत मॉडलिंग तकनीकों का उपयोग किया है और बताया है कि बहुभुज के रूप में बर्फ का यह आकार उर्ध्वपातन के कारण होता है, जो एक ऐसी परिघटना है, जहां ठोस बर्फ तरल अवस्था से गुजरे बिना गैस में बदल जाती है। यह अध्ययन हाल में शोध पत्रिका नेचर में प्रकाशित किया गया है।

एक्सेटर के भौतिकी और खगोल विज्ञान विभाग के एक रिसर्च फेलो डॉ मॉरिसन ने कहा, “न्यू होराइजन अंतरिक्ष अनुसंधान के दौरान एकत्रित डेटा से इस दूरस्थ दुनिया की हमारी समझ को काफी हद तक बदलने में मदद मिली है।”

“विशेष रूप से, इसने दिखाया कि प्लूटो अभी भी सूर्य से बहुत दूर होने और सीमित आंतरिक ऊर्जा स्रोत होने के बावजूद भूगर्भीय रूप से सक्रिय है। इसमें स्पूतनिक प्लैनिटिया शामिल है, जहाँ सतह की स्थिति गैसीय नाइट्रोजन को अपने वातावरण में ठोस नाइट्रोजन के साथ सह-अस्तित्व के लिए अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराती है।”

“हम जानते हैं कि बर्फ की सतह उल्लेखनीय बहुभुज विशेषताओं को प्रदर्शित करती है - नाइट्रोजन बर्फ में थर्मल संवहन द्वारा गठित, लगातार बर्फ की सतह को व्यवस्थित और नवीनीकृत करती है। हालांकि, यह प्रक्रिया कैसे हो सकती है, इसके पीछे सवाल बने हुए हैं।”

शोधकर्ताओं ने संख्यात्मक सिमुलेशन की एक श्रृंखला का उपयोग किया है, जिसमें दिखाया गया है कि उर्ध्वपातन क्रिया से शीतलन; शक्ति संवहन में सक्षम है, जो न्यू होराइजन्स, जिसमें बहुभुज का आकार, स्थलाकृति का आयाम, और सतह का वेग शामिल है, से मिलने वाले डेटा के अनुरूप है।

यह उस समय के अनुरूप भी है, जिस पर जलवायु मॉडल लगभग 1-2 मिलियन वर्ष पहले शुरू होने वाले स्पूतनिक प्लैनिटिया के उर्ध्वपातन की भविष्यवाणी करते हैं। इससे पता चलता है कि इस नाइट्रोजन बर्फ की परत की गतिशीलता पृथ्वी के महासागरों पर पाए जाने वाली जलवायु से प्रेरित होती है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि इस तरह की जलवायु-संचालित गतिशीलता ट्राइटन (नेप्च्यून के चंद्रमाओं में से एक) या एरिस और हमारे सौर मण्डल के काइपर घेरे में स्थित माकेमाके जैसे अन्य ग्रहों की सतह पर भी हो सकती है। (इंडिया साइंस वायर)

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