भारत के लिए बुधवार का दिन उस समय बहुत खास बन गया जब अंतरिक्ष में एंटी मिसाइल से 3 मिनट में 300 किलोमीटर दूर एक लाइव सैटेलाइट को मार गिराते हुए अपना अंतरिक्ष महाशक्ति के रूप में दर्ज कराया। इसके साथ ही अब भारत भी अमेरिका, रूस और चीन के बाद अंतरिक्ष महाशक्ति बन गया है। भारत की यह उपलब्धि इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि निकट भविष्य में सामरिक शक्ति बढ़ाने में अंतरिक्ष तकनीक की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।
इस ऐतिहासिक घटना के बाद पूरी दुनिया की निगाह भारत पर टिक गई साथ ही पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन में साफ तौर पर घबराहट देखी गई। अंतरिक्ष के महाबली भारत के इस कदम ने दुनिया के चौधरी अमेरिका को भी चौंकाया।
पाकिस्तान में इसका असर कुछ ज्यादा देखा गया। आनन फानन में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने रक्षा मामलों की उच्च स्तरीय बैठक बुलाई। पाकिस्तान की तरफ से कहा गया कि वो स्पेस में हथियारों की होड़ का बिलकुल हिमायती नहीं है और स्पेस का इस्तेमाल इंसानियत की भलाई के लिए होना चाहिए न कि सैन्य क्षमता बढ़ाने के लिए।
इमरान खान ने कहा कि मैं भारत में चुनाव होने से पहले डरा हुआ हूं। आगे कुछ भी हो सकता है। पुलवामा के समय ऐसा लगा था कि मोदी सरकार युद्ध चाहती है। पाकिस्तान की चिंता और घबराहट को अखबार डॉन ने कुछ इस तरह बयां किया- भारत द्वारा किया गया ए-सैट परीक्षण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चुनावी दांव है। डॉन ने कहा कि मोदी का दावा है कि उनके देश ने अंतरिक्ष में सैटेलाइट मार गिराया है। ऐसा करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है। यह खबर तब आई है, जब भारत में कुछ हफ्तों बाद चुनाव होने वाले हैं।
चीनी मीडिया का कहना था कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिर चौंका दिया है। अब भारत स्पेस रेस में शामिल हो गया है। मोदी ने इसे देश की सुरक्षा के लिए जरूरी बताया है। अमेरिका ने भारत के ए-सैट परीक्षण पर काफी सधी हुई प्रतिक्रिया दी और कहा कि स्पेस में नई एंट्री, भारत अब दुनिया का सबसे अहम स्पेस क्लब का सदस्य बन गया है। हालांकि अमेरिका ने भारत का नाम लिए बिना नसीहत भी दी कि अतंरिक्ष में कुछ गलत ना करें। यहां मलबा ना फैलाएं।
उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने तो इस तरह का परीक्षण 1959 में ही कर लिया था, जबकि एक साल बाद 1960 में रूस (तत्कालीन सोवियत संघ) भी स्पेस सुपर पॉवर बन गया। चीन ने इस तरह का परीक्षण 2007 में किया था। स्पेस में सुपर पॉवर बनने से भारत अब उसकी जासूसी करने वाले उपग्रहों को भी मार गिराएगा। हालांकि इस उपलब्धि का दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह रहा कि इस उपलब्धि पर भारत में जमकर राजनीति हुई।