नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आरोप लगाया है कि सरकार के इशारे पर लोगों को पिटवाकर कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार खुद ही हिंसा तथा बंटवारे की जननी बन गई है।
गांधी ने सोमवार को यहां जारी एक बयान में कहा कि नागरिकता (संशोधन) कानून को लेकर देशभर में जारी हिंसा के बीच यहां जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय में छात्रों के साथ मारपीट की गई। सरकार का काम शांति एवं सौहार्द बनाए रखना, कानून का शासन चलाना एवं संविधान की रक्षा करना है लेकिन मोदी सरकार ने देश तथा देशवासियों पर हमला बोल दिया है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार स्वयं हिंसा तथा बंटवारे की जननी बन गई है। सरकार ने देश को नफरत की अंधी खाई में धकेल दिया है तथा युवाओं के भविष्य को आग की भट्टी में झुलसा दिया गया है। सरकार के हुक्मरान ही जब हिंसा करवाएं, संविधान पर आक्रमण करें, देश के युवाओं को बेरहमी से पिटवाएं, कानून की धज्जियां उड़ाएं, तो फिर देश चलेगा कैसे।
मोदी सरकार अस्थिरता फैलाकर और इसके लिए हिंसा करवाओ, युवाओं के अधिकार छीनते जाओ, देश में धार्मिक उन्माद का वातावरण बनाओ और राजनैतिक रोटियां सेंकते जाओ। इसके सूत्रधार कोई और नहीं, स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह हैं।
असम, त्रिपुरा और मेघालय जल रहा है। पुलिस की गोलियों से अकेले असम में 4 युवा मारे गए हैं। दिल्ली से पश्चिम बंगाल तक हिंसा और विरोध फैला हुआ है। गृहमंत्री अमित शाह की स्वयं की हिम्मत नहीं कि वे उत्तर-पूर्व के प्रांतों का दौरा कर सकें। यहां तक कि पहले बांग्लादेश के विदेश मंत्री और फिर जापान के प्रधानमंत्री को हिंदुस्तान का दौरा रद्द करना पड़ा।
पूरे देश में छात्र आंदोलन की राह पर हैं। सरकार के अत्याचार, बेतहाशा बेरोजगारी, फीस वृद्धि, अधिकारों का हनन तथा संविधान को तोड़ने की भाजपाई साजिश के खिलाफ युवा और छात्र सड़कों पर विरोध कर रहे हैं लेकिन सरकार और उसके मंत्री पूरे देश के युवाओं को उग्रवादी, नक्सलवादी, अलगाववादी और देशद्रोही साबित करने में जुटे हैं।
उन्होंने कहा कि इसका कारण साफ है कि मोदी सरकार पूरी तरह असफल साबित हुई है। महंगाई चरम पर है, बेरोजगारी सिर चढ़कर बोल रही है, अर्थव्यवस्था ठप है, शिक्षा और शिक्षण संस्थानों का बुरा हाल है और देश का आमजन गरीबी से ग्रस्त है। ऐसे में मोदी सरकार केवल धार्मिक उन्माद फैला, हिंसा करवा, अफरा-तफरी का आलम पैदा कर खुद की नाकामी से ध्यान बांटने का प्रयास कर रही है।