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ट्रिपल तलाक का मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का बड़ा फैसला

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, सोमवार, 22 मई 2017 (20:18 IST)
नई दिल्ली। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि विवाह विच्छेद के लिए तीन तलाक का सहारा लेने वाले मुसलमानों का सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा और ‘काजियों’ को एक मशविरा जारी किया जाएगा कि वे दूल्हे से कहें कि वह तलाक के लिए इस स्वरूप का अनुसरण नहीं करेंगे।
 
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तीन तलाक को शरीयत में अथवा इस्लामिक कानून में ‘अवांछनीय परंपरा’करार दिया और कहा कि पति-पत्नी के बीच विवाद को परस्पर बातचीत के जरिए हल किया जाना चाहिए और इस संबंध में उसने शरीयत के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुये एक आचार संहिता भी जारी की है।
 
बोर्ड ने उच्चतम न्यायालय में दाखिल एक हलफनामे में कहा है कि तलाक देने के एक स्वरूप के रूप में तीन तलाक की परंपरा को हतोत्साहित करने के इरादे से फैसला किया गया है कि एक बार में तीन बार तलाक देने का रास्ता अपनाने वाले मुसलमानों का ‘सामाजिक बहिष्कार’ किया जाए और इस तरह के तलाक की घटनाओं को कम किया जाए।
 
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने हलफनामे में कहा है कि उसने 15-16 अप्रैल को अपनी कार्यसमिति की बैठक में तीन तलाक की परंपरा के खिलाफ एक प्रस्ताव भी पारित किया है। हलफनामे में यह भी कहा गया है कि तलाक के बारे में शरीयत का रुख एकदम साफ है कि बगैर किसी वजह के तलाक देने की घोषणा करना और एक ही बार में तीन बार तलाक देना तलाक का सही तरीका नहीं है। (भाषा)

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