Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

तारबंदी और बर्फ नहीं रोक पा रही आतंकियों के कदम

हमें फॉलो करें तारबंदी और बर्फ नहीं रोक पा रही आतंकियों के कदम
webdunia

सुरेश डुग्गर

जम्मू। तमाम दावों के बावजूद सेना उन आतंकियों के कदमों को रोक पाने में कामयाब नहीं हो पा रही है जो अब अत्याधुनिक सिस्टमों को भी धोखा देकर इस ओर चले आ रहे हैं। पुंछ के बगयाल दर्रे में दो दिन पहले आने वाले आतंकियों के जत्थे से इसकी पुष्टि होती है जो तारबंदी और बर्फबारी से विचलित नहीं हुए थे।
मारे गए आतंकियों के कब्जे से बरामद डायरी यह बयान करती थी कि उस पार आतंकवादियों के लिए अब नए कैम्प  भी सक्रिय हैं और हजारों की तादाद इस ओर आने को उतावली है। उतावले आतंकी हैं या फिर पाक सेना के अधिकारी उन्हें इस ओर धकेलेने को उतावले हैं यह चर्चा का विषय नहीं है बल्कि चर्चा इस बात की है कि मारे गए आतंकी अत्याधुनिक हथियारों, अत्याधुनिक जीपीएस सिस्टम, मोबाइल, सेटेलाइट फोनों और बर्फ में जंग की परिस्थितियों में जिन्दा रहने लायक सामान लेकर आए थे। उनके पावों में विदेशी स्नो बूट थे तो उनकी डायरी कहती थी कि पाक सेना अब उन्हें स्नो स्कूटरों का भी प्रशिक्षण दे रही है।
 
आतंकियों को रोकने के लिए दस फुट ऊंची कांटेदार तार एलओसी पर डाली गई है पर वह वर्तमान में किसी काम की नहीं रही है। ऊंचाई वाले इलाकों में 65 परसेंट बर्फ के पहाड़ों के नीचे दफन हो गया है। पहले भी पिछले साल की बर्फबारी ने 50 परसेंट को क्षतिग्रस्त कर दिया था।
 
यही कारण है कि इस बार फिर बर्फबारी के कारण तारबंदी के उसके नीचे दबे होने पर सैनिकों को अधिक सतर्क रहना पड़ रहा है, लेकिन उनकी सतर्कता उस समय कई बार काम नहीं आती जब आतंकी नए ऐसे रास्तों की तलाश कर इस ओर घुसे आते हैं जिनके प्रति सेना के जवानों ने सोचा भी नहीं होता। ऐसे दलों को ढूंढ पाना सेना के लिए अब आसान नहीं रहा है तो आतंकियों के लिए ऐसे रास्तों से घुस कर भीतर आना आसान इसलिए हो गया है क्योंकि वे अब अपने साथ जीपीएस अर्थात ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम को लेकर चलने लगे हैं। 
 
बगयाल दर्रे में मारे गए दल के पास से एक नहीं दो नहीं बल्कि पूरे तीन ऐसे सिस्टम पहली बार पकड़े गए जिसने सुरक्षाधिकारियों के पांव तले से जमीन खिसका दी है। ऐसा इसलिए है क्योंकि ऐसे सिस्टम का इस्तेमाल कर आतंकी उन रास्तों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं जिनके प्रति अभी तक सेना बेखबर थी।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

वादी के पर्यटकों का रुख अब गुलमर्ग की ओर हुआ