मुंबई। शिवसेना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर मंगलवार को एक बार फिर निशाना साधते हुए कहा कि जनता ईश्वर है, लेकिन नोटबंदी के चलते ईश्वर को भी भिखारी बनकर रहना पड़ रहा है।
शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा गया कि जनता ईश्वर है, लेकिन नोटबंदी के चलते ईश्वर को भी भिखारी बनकर रहना पड़ रहा है। नोटबंदी से देश की हालत चिंताजनक है. व्यापारियों के पास कैश नहीं है, उन्हें चिल्लर से काम चलाना पड़ रहा है।
शिवसेना ने मोदी और अमित शाह के साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री फडणवीस पर भी निशाना साधा। संपादकीय के मुताबिक देश किन हालतों से गुजर रहा है इसकी परवाह नहीं है, लेकिन करोड़ों रुपए खर्च करके विज्ञापनबाजी थमने का नाम नहीं ले रही है।
शिवसेना ने मोदी सरकार की तुलना ब्रिटिश हुकूमत से करते हुए कहा कि ब्रिटिश व्यापारी के रूप में आए और 'तोड़ो, फोड़ो और राज करो' नीति के तहत 150 साल तक देश में बने रहे। व्यापारियों पर कभी भी ईश्वरीय वरदान नहीं होता, उसके जरिए लूट ही होती है। आज भी जिन्हें ईश्वरीय वरदान लगती है, वह ईश्वरों का अपमान करना रोकें। ईश्वर भिखारी हो गया है!
लेख के अनुसार, ब्रिटिश राज को ईश्वर का वरदान कहा जाता था। उसी तर्ज पर नरेंद्र मोदी और अमित शाह के राज को भी ईश्वर का वरदान बताने वालों का उदय हुआ है। अच्छी बरसात हो जाए तो मोदी सरकार के कारण हुई, ऐसा बताने की कोशिश की जा रही है, लेकिन विदर्भ के किसान सकंट से गुजर रहे हैं। ये संकट भी मोदी और फडणवीस सरकार का वरदान है। इसे मानने को वो तैयार नहीं है।
इसमें कहा गया कि बुलेट ट्रेन मोदी सरकार का वरदान है, लेकिन मालाड में जो दुर्घटना हुई उसका श्रेय लेने को सरकार कि तरफ से कोई नही आया। इस बात का आश्चर्य है की 17 वर्ष के बाद हिंदुस्तान ने विश्व सुंदरी का खिताब जीता, उस हरियाणवी कन्या का नाम मानुषी छिल्लर है। अब मानुषी ने विश्व सुंदरी खिताब जीतकर देश कि शान बढाई वो सरकार के कारण ही ? इसका श्रेय सरकार ने क्यों नहीं लिया? यह आश्चर्य कि बात है।