नई दिल्ली। महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगने के साथ ही 19 दिन से चल रहे सियासी ड्रामे पर 6 माह तक पर्दा गिर गया है।
विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के 19 दिन बाद भी नई सरकार नहीं बन पाई। मंगलवार को किसी भी पार्टी की ओर से समर्थन का दावा पेश नहीं करने पर राज्यपाल भगतसिंह कोशियारी ने अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा की जिसे केंद्र के बाद राष्ट्रपति से भी मंजूरी मिल गई। शिवसेना ने 'सामना' में बीजेपी पर निशाना साधा है और राष्ट्रपति शासन के लिए बीजेपी को जिम्मेदार बताया है।
शिवसेना ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए जरूरी समर्थन पत्र सौंपने के लिए राज्यपाल से 3 दिन समय मांगा था, लेकिन राज्यपाल ने नहीं दिया। इसी के खिलाफ शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इस पर बुधवार सुबह सुनवाई हो सकती है। शिवसेना की तरफ से याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता सुनील फर्नांडीस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने रिट याचिका का उल्लेख अदालत के समक्ष बुधवार को करने को कहा है।
'सामना' में बीजेपी ने साधा निशाना : शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' में बीजेपी पर निशाना साधा। शिवसेना ने कहा कि बीजेपी ने अपना वचन नहीं निभाया है और वह अपने वचन पर कायम रहती तो यह नहीं होता। बीजेपी को 'हम नहीं तो कोई नहीं' का अहंकार है। शिवसेना ने कहा कि राष्ट्रपति शासन घोड़ा बाजार का उदाहरण है। राज्यपाल ने हमें समय नहीं दिया। बहुमत का फैसला तो फ्लोर पर होता है। 6 महीने में कोई बहुमत जुटा ले तो सरकार बन सकती है।
राज्यपाल सरकार बनाने के लिए बुला सकते हैं : राष्ट्रपति शासन लगने के बाद सरकार बनाने में जुटीं 3 पार्टियों को बड़ा झटका भी लग गया। हालांकि राष्ट्रपति शासन के दौरान विधानसभा निलंबित रहती है। इसका मतलब यह है कि इस दौरान भी अगर कोई दल या गठबंधन बहुमत का आंकड़ा जुटाने का दावा पेश करता है तो राज्यपाल उन्हें सरकार बनाने के लिए बुला सकते हैं।