द्रौपदी मुर्मू के समर्थन पर अड़े शिवसेना सांसद, क्या पूरी तरह टूट जाएगी शिवसेना?

Shiv Sena
Webdunia
सोमवार, 11 जुलाई 2022 (19:50 IST)
नई दिल्ली। पिछले 1 महीने में महाराष्ट्र की राजनीति पूरी तरह से बदल गई। इसका साफ असर राष्ट्रपति चुनाव पर भी दिखाई दे रहा है। उद्धव ठाकरे ने अभी कांग्रेस और एनसीपी से गठबंधन तोड़ा नहीं है, ऐसे में विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का समर्थन करने के लिए उन पर दबाव बढ़ रहा है, लेकिन शिवसेना के ज्यादातर सांसद एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के समर्थन की मांग कर रहे हैं।
ALSO READ: National Herald Case : सोनिया गांधी को ED का समन, 21 जुलाई को पेश होने को कहा
ऐसे में एक बार फिर शिवसेना में दो फाड़ देखने को मिल रही है। इस बार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन को लेकर शिवसेना के सांसद उद्धव का साथ न छोड़ दें। शिवसेना नेता गजानन कीर्तिकर ने कहा कि शिवसेना के 18 लोकसभा सदस्यों में से 13 ने सोमवार को राष्ट्रपति चुनाव पर एक महत्वपूर्ण बैठक में भाग लिया और उनमें से अधिकतर ने एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने का सुझाव दिया।

हालांकि, शिवसेना सांसद एवं मुख्य प्रवक्ता संजय राउत ने दावा किया कि लोकसभा में पार्टी के 18 सदस्यों में से 15 ने उपनगरीय बांद्रा में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के निजी आवास 'मातोश्री' में हुई बैठक में भाग लिया। उन्होंने इस संबंध में कोई ब्योरा नहीं दिया। महाराष्ट्र में 18 लोकसभा के सांसदों के अलावा, केंद्र शासित प्रदेश दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव से कलाबेन डेलकर भी शिवसेना सांसद हैं।

कीर्तिकर ने कहा कि बैठक में 13 सांसद भौतिक रूप से शामिल हुए, जबकि तीन अन्य - संजय जाधव, संजय मांडलिक और हेमंत पाटिल बैठक में शामिल नहीं हो सके, लेकिन उन्होंने नेतृत्व को अपने समर्थन की पुष्टि की। कीर्तिकर ने कहा कि ज्यादातर सांसदों की राय थी कि पार्टी को द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिवसेना के दो लोकसभा सदस्य भावना गवली और श्रीकांत शिंदे (मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बेटे) बैठक में शामिल नहीं हुए। राष्ट्रपति चुनाव 18 जुलाई को होंगे।

विधायकों पर सुप्रीम कोर्ट में फैसला नहीं : उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाले खेमे के शिवसेना विधायकों को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र विधानसभा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष राहुल नार्वेकर से कहा कि ठाकरे नीत धड़े के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग वाली याचिका पर कोई फैसला नहीं लिया जाए। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खेमे ने विश्वास मत और विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव के दौरान पार्टी व्हिप का उल्लंघन किए जाने के आधार पर यह मांग की थी।
 
एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के बागी विधायकों के महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए भाजपा के साथ गठबंधन करने के बाद, ठाकरे गुट ने शीर्ष अदालत में कई याचिकाएं दायर की हैं। प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कपिल सिब्बल के नेतृत्व में वरिष्ठ अधिवक्ताओं की दलीलों पर गौर किया, जिनमें कहा गया था कि उद्धव ठाकरे धड़े की ओर से दायर अनेक याचिकाओं को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया गया है जिन्हें सोमवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाना है।
 
सिब्बल ने कहा कि अदालत ने कहा था कि याचिकाओं को 11 जुलाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा। मैं अनुरोध करता हूं कि मामले में यहां निर्णय होने तक अयोग्यता संबंधी कोई फैसला ना किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि बागी विधायकों ने जब शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था तो उन्हें संरक्षण प्रदान किया गया था।
 
सिब्बल ने कहा कि हमारी अयोग्यताओं संबंधी याचिका पर विधानसभा अध्यक्ष कल सुनवाई करने वाले हैं...मामले पर सुनवाई पूरी होने तक किसी को अयोग्य नहीं ठहराया जाना चाहिए। इन मामलों पर यहां (शीर्ष अदालत में) फैसला होना चाहिए।

पीठ ने कहा कि श्रीमान मेहता (राज्यपाल की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता), आप कृपया विधानसभा अध्यक्ष को सूचित करें कि वह इस संबंध में कोई सुनवाई ना करें। मामले पर सुनवाई हम करेंगे। इसके बाद राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि वे विधानसभा अध्यक्ष तक यह संदेश पहुंचा देंगे। अदालत ने कहा कि पीठ का गठन करके मंगलवार के बाद मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए। 
 
उद्धव ठाकरे नीत धड़े ने 3 और 4 जुलाई को हुई महाराष्ट्र विधानसभा की कार्यवाही की वैधता को भी चुनौती दी है, जिसमें विधानसभा के नए अध्यक्ष का चयन किया गया था और इसके बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शक्ति परीक्षण में बहुमत साबित किया था। इससे पहले ठाकरे गुट के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु ने मुख्यमंत्री और 15 बागी विधायकों को विधानसभा से निलंबित करने की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिनके खिलाफ अयोग्यता याचिकाएं लंबित हैं।
 
सुप्रीम कोर्ट की अवकाशकालीन पीठ ने 27 जून को शिंदे गुट को राहत प्रदान करते हुए 16 बागी विधायकों को भेजे गए अयोग्यता नोटिस पर जवाब देने की अवधि 12 जुलाई तक बढ़ा दी थी। महाराष्ट्र के राज्यपाल के शक्ति परीक्षण का आदेश देने के बाद 29 जून को महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार ने शीर्ष अदालत का रुख किया था। 
 
अदालत के राज्यपाल के आदेश पर रोक लगाने से इनकार करने के बाद उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। एकनाथ शिंदे ने 30 जून को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, जिसके बाद प्रभु ने उन पर और 15 बागी विधायकों पर ‘भाजपा के प्यादों के तौर पर काम करने, दलबदल कर संवैधानिक पाप करने’ जैसे आरोप लगाए तथा उनके निलंबन की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। (इनपुट भाषा)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

India-Pakistan Conflict : सिंधु जलसंधि रद्द होने पर प्यासे पाकिस्तान के लिए आगे आया चीन, क्या है Mohmand Dam परियोजना

Naxal Encounter: कौन था बेहद खौफनाक नक्‍सली बसवराजू जिस पर था डेढ़ करोड़ का इनाम?

ज्‍योति मल्‍होत्रा ने व्‍हाट्सऐप चैट में हसन अली से कही दिल की बात- कहा, पाकिस्‍तान में मेरी शादी करा दो प्‍लीज

भारत के 2 दुश्मन हुए एक, अब China ऐसे कर रहा है Pakistan की मदद

गुजरात में शेरों की संख्या बढ़ी, खुश हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

सभी देखें

नवीनतम

LIVE: करणी माता मंदिर में पीएम मोदी, जासूस ज्योति मल्होत्रा की आज कोर्ट में पेशी

एक गांव की गाथा, आजादी के बाद पहली बार किसी विद्यार्थी ने पास की हाईस्कूल परीक्षा

पाकिस्तानी PM शहबाज शरीफ ने बताया आसिम मुनीर को पदोन्नत करने का फैसला किसका था...

इंदौर के कारोबारी संगठन का बड़ा फैसला, चीन और बांग्लादेश में बने कपड़े बेचे तो 1.11 लाख रुपए जुर्माना

Delhi NCR Weather : दिल्ली- NCR में आंधी का कहर, बारिश के साथ गिरे ओले, टूटे पेड़, 2 की मौत

अगला लेख