शिलांग। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) शारदा चिट फंड घोटाले के सिलसिले में कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार से शिलांग में दूसरे दिन रविवार को भी पूछताछ करेगी और तृणमूल कांग्रेस के पूर्व सांसद कुणाल घोष भी पूछताछ के लिए पेश होंगे।
अधिकारियों ने बताया कि कि सीबीआई के तीन वरिष्ठ अधिकारियों ने शनिवार को कुमार से इस घोटाले के अहम सबूत के साथ छेड़छाड़ में उनकी कथित भूमिका को लेकर करीब 9 घंटे तक पूछताछ की।
इस पूछताछ के बारे में सीबीआई ने कोई (प्रेस) ब्रीफिंग नहीं की। पूछताछ यहां ओकलैंड में उच्च सुरक्षा वाले सीबीआई दफ्तर में हुई। उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर यह पूछताछ हो रही है।
कुमार के वकील बिश्वजीत देब ने बताया कि वे सीबीआई के साथ सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने सीबीआई कार्यालय के बाहर कहा कि वे उच्चतम न्यायालय के आदेश पर यहां आए हैं। उन्होंने पहले भी बात मानी है और अब भी आदेश के अनुसार चल रहे हैं।
कुमार ने उस विशेष जांच दल की अगुवाई की थी जिसे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चिटफंड घोटाले की जांच के लिए बनाया था। उसके पश्चात इस मामले की जांच उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई को सौंपी थी।
देब ने पश्चिम बंगाल के दो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों जावेद शमीम और मुरलीधर शर्मा के साथ दिन में थोड़ी-थोड़ी देर के लिए कुमार से तीन बार मुलाकात की। देब मेघालय के लिए तृणमूल कांग्रेस के संयोजक भी हैं।
सीबीआई सूत्रों ने बताया कि जांच एजेंसी कुमार का कुणाल घोष से आमना-सामना करा सकती है लेकिन इस संबंध में निर्णय शिलांग में मौजूद जांच अधिकारी ही लेंगे। कुणाल घोष को रविवार को शिलांग बुलाया गया है।
कोलकाता में अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई तृणमूल से निष्कासित कुणाल घोष द्वारा प्रवर्तन निदेशालय को लिखे गये 91 पन्नों के पत्र पर भरोसा कर रही है। इस पत्र में मुख्य आरोपियों- शारदा ग्रुप ऑफ कंपनीज के प्रवर्तकों सुदीप्त सेन और देबजानी मुखर्जी के कश्मीर भाग जाने के बाद इस पोंजी घोटाले की जांच के तौर तरीकों में कुमार की भूमिका बताई गई है। सेन और मुखर्जी को 2013 में कश्मीर से गिरफ्तार किया गया था।
घोष ने सारदा घोटाले में भाजपा नेता मुकुल राय और 12 अन्य पर ठीकरा फोड़ा था। मुकुल राय कभी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खासमखास हुआ करते थे।
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कुमार को सीबीआई के समक्ष पेश होने और सारदा चिट फंड घोटाले से उपजे मामलों की जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया था। साथ ही न्यायालय ने यह भी स्पष्ट कर दिया था कि उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाए। शीर्ष न्यायालय ने कुमार को एक ‘निरपेक्ष’ स्थान शिलांग में जांच एजेंसी के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया, ताकि सारे अनावश्यक विवाद से बचा जा सके।
उल्लेखनीय है कि सीबीआई के अधिकारी पूछताछ करने के लिए 3 फरवरी को कोलकाता में कुमार के आवास पर गए थे, लेकिन पुलिस ने उनकी कोशिश नाकाम कर दी। उसके बाद सीबीआई उच्चतम न्यायालय पहुंच गई। उधर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तीन दिन तक धरना दिया।