Maharashtra Politics : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मौजूदा सीमा 50 प्रतिशत से अधिक करने के लिए संवैधानिक संशोधन लेकर आने की अपील की।
हालांकि शिवसेना ने सवाल किया कि पवार महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले क्यों यह मुद्दा उठा रहे हैं? पार्टी ने जानना चाहा कि पवार ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए मुख्यमंत्री रहते हुए क्या किया? पवार ने कहा कि आरक्षण के लिए आंदोलन कर रहे मराठाओं को आरक्षण देकर इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि इस तरह के कदम से अन्य समुदायों के लिए निर्धारित आरक्षण की सीमा में कोई व्यवधान नहीं पड़े।
उन्होंने कहा, वर्तमान आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत है। लेकिन अगर तमिलनाडु (विभिन्न समुदायों के लिए आरक्षण) 78 प्रतिशत कर सकता है तो महाराष्ट्र में 75 प्रतिशत आरक्षण क्यों नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि केंद्र को आगे बढ़कर आरक्षण की सीमा बढ़ाने के लिए संविधान संशोधन लाना चाहिए। उन्होंने कहा, हम संशोधन का समर्थन करेंगे।
एक अन्य सवाल पर पवार ने कहा कि विपक्षी दलों के गठबंधन महा विकास आघाड़ी (एमवीए) के नेताओं के बीच सीट बंटवारे पर बातचीत अगले सप्ताह भी जारी रहेगी। उन्होंने कहा, मैं नेताओं को यही सलाह दूंगा कि वे जल्द से जल्द बातचीत पूरी कर लें ताकि हम बदलाव चाहने वाले लोगों तक पहुंच सकें।
एमवीए के सहयोगी दल राकांपा (एसपी), उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस ने हालिया लोकसभा चुनाव मिलकर लड़ा था और बेहतर प्रदर्शन किया था। एमवीए गठबंधन ने राज्य में 48 में से 30 सीटों पर जीत दर्ज की। महाराष्ट्र में नवंबर में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है।
पवार ने कहा कि लोग सरकार में बदलाव लाने को लेकर सकारात्मक हैं और एमवीए उनकी इन भावनाओं का सम्मान करता है। राकांपा (शरद पवार) के प्रमुख ने मराठी भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने के फैसले का स्वागत किया और इसके लिए केंद्र सरकार को बधाई दी।
हालांकि पवार ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार को मराठी सीखने वाले छात्रों की घटती संख्या और राज्य में मराठी भाषा के स्कूल बंद होने के बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने कहा, इन पहलुओं पर चर्चा और इस मुद्दे को हल करने का तरीका खोजने की जरूरत है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार लोकलुभावन योजनाओं की बौछार कर रही है, वहीं वह अन्य कार्यक्रमों के लिए निर्धारित धन को दूसरी जगह लगा रही है।
पवार ने कहा, सांगली कैंसर अस्पताल को चार करोड़ रुपए से ज्यादा की सरकारी सहायता बकाया है। पूरे राज्य में कैंसर अस्पतालों को 700 करोड़ रुपए की सरकारी सहायता बकाया है। मुझे बताया गया कि चूंकि धन को लोकलुभावन योजनाओं में लगाना था, इसलिए प्रशासन असहाय है। अगर चिकित्सा क्षेत्र में यह स्थिति है, तो अन्य क्षेत्रों के बारे में क्या कहा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि बदलापुर जैसे मामलों को लेकर राज्य में लोगों के बीच आक्रोश है। बदलापुर में एक स्कूल में अनुबंध पर कार्यरत एक सफाईकर्मी ने स्कूल परिसर में दो छोटी बच्चियों का कथित रूप से यौन उत्पीड़न किया था। बाद में वह पुलिस के साथ कथित गोलीबारी में मारा गया। उन्होंने कहा कि लोगों का मानना है कि महिलाओं को वित्तीय सहायता तो दी जा रही है लेकिन उनकी सुरक्षा को नजरअंदाज किया जा रहा है।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की उस टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर कि महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करने वाली लाडकी बहिन योजना अन्य क्षेत्रों में सब्सिडी के समय पर भुगतान को प्रभावित कर सकती है, पवार ने कहा कि यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी ऐसी योजनाओं को रेवड़ी संस्कृति कहा है जिसे रोकने की जरूरत है।
गडकरी केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री भी हैं। उन्होंने कहा, गडकरी का विकास के प्रति रचनात्मक और गैर-राजनीतिक दृष्टिकोण है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी नेता के कार्यकाल के दौरान सड़कों में सुधार हुआ है।
गडकरी ने दावा किया था कि विपक्ष ने उन्हें कई बार प्रधानमंत्री की कुर्सी की पेशकश की। उनके इस दावे पर पवार ने कहा, हमने ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं दिया। अगर हमारे पास आवश्यक संख्या में सांसद नहीं हैं, तो हम ऐसा प्रस्ताव कैसे दे सकते हैं।
दिसंबर में 84 साल के होने जा रहे पवार से जब उनकी ऊर्जा के रहस्य के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ उनकी ऊर्जा बढ़ती जाती है। विधानसभा चुनावों से पहले महाराष्ट्र में मोदी के संभावित दौरे के बारे में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने लोकसभा चुनावों से पहले 18 रैलियां की थीं और 14 निर्वाचन क्षेत्रों में हार का सामना करना पड़ा था। उन्होंने कहा, विधानसभा चुनावों के लिए भी उन्हें कई रैलियां करनी चाहिए।
राकांपा (एसपी) अध्यक्ष की मांग पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना प्रवक्ता एवं विधायक संजय शिरसाट ने सवाल किया कि पवार ने क्यों नहीं आरक्षण मुद्दे का समाधान किया, जब उनकी सरकार थी। शिरसाट ने छत्रपति संभाजीनगर में कहा, शरद पवार चार बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे और उस समय कांग्रेस को पूर्ण बहुमत हासिल था। शरद पवार को क्यों नहीं उस समय यह याद आई? यह मुद्दा उन्होंने लटकाए रखा और अब चुनाव नजदीक आने के बाद ये बातें कर रहे हैं।
शिवसेना नेता ने कहा कि अगर पवार ने पहले कदम उठाए होते तो आरक्षण के मुद्दे का सालों पहले समाधान हो चुका होता। उन्होंने कहा, सरकार मामले का समाधान करने के लिए यथासंभव प्रयास कर रही है। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour