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वरिष्‍ठ पत्रकार श्री अभय छजलानी जी नहीं रहे

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, गुरुवार, 23 मार्च 2023 (08:58 IST)
इंदौर। वरिष्‍ठ पत्रकार और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित श्री अभय छजलानी जी का गुरुवार सुबह निधन हो गया। वे 88 वर्ष के थे। वे लंबे समय से अस्वस्थ थे। शाम 5 बजे इंदौर के रिजनल पार्क मुक्तिधाम में उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी। 
 
अभय छजलानी जी का जन्म 4 अगस्त 1934 को इंदौर में हुआ था और उन्होंने 1955 में पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रवेश किया। 1965 में उन्होंने पत्रकारिता के विश्व के प्रमुख संस्थान थॉम्सन फाउंडेशन, कार्डिफ (यूके) से स्नातक की उपाधि ली थी।

हिंदी दैनिक नईदुनिया के संपादकीय बोर्ड के अध्यक्ष रहे छजलानी को पत्रकारिता में उल्लेखनीय योगदान के लिए वर्ष 2009 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
 
शालीन, सौम्य और हंसमुख स्वभाव के धनी अभयजी का निधन एक अपूरणीय क्षति है। उनका जाना पत्रकारिता के एक स्तंभ का ढह जाना है। नईदुनिया के माध्यम से उन्होंने हिन्दी पत्रकारिता की कोंपलों को उन्होंने बहुत करीने से सहेजकर पल्लवित होने में मदद की। वे पत्रकार, समीक्षक, लेखक समेत अनेक विधाओं के धनी थे। 

वह 1988, 1989, 1994 में भारतीय भाषाई समाचार पत्रों के शीर्ष संगठन इलना के अध्यक्ष रह चुके हैं। वह इंडियन न्यूज पेपर सोसायटी (आइएनएस) के 2000 में उपाध्यक्ष और 2002 में अध्यक्ष रहे।

अभय जी का संक्षिप्त परिचय
-4 अगस्त 1934 को इंदौर में अभय जी का जन्म हुआ। 
-1955 में पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रवेश किया। 
-1963 में कार्यकारी संपादक का कार्यभार संभाला बाद में लंबे अरसे तक नईदुनिया के प्रधान संपादक भी रहे। 
-वर्ष 1965 में उन्होंने पत्रकारिता के विश्व प्रमुख संस्थान थॉम्सन फाउंडेशन, कार्डिफ (यूके) से स्नातक की उपाधि ली। 
-हिन्दी पत्रकारिता के क्षेत्र से इस प्रशिक्षण के लिए चुने जाने वाले वे पहले पत्रकार थे। 
-अभयजी को श्रेष्ठतम पत्रकारिता के लिए पद्‍मश्री से सम्मानित किया गया है। 
-आज वे कई महत्त्वपूर्ण सामाजिक दायित्व भी निभा रहे हैं।
-अभय छजलानी भारतीय भाषाई समाचार पत्रों के शीर्ष संगठन इलना के तीन बार अध्यक्ष रह चुके हैं। 
वे 1988, 1989 और 1994 में संगठन के अध्यक्ष रहे। 
-इंडियन न्यूज पेपर सोसायटी (आईएनएस) के 2000 में उपाध्यक्ष और 2002 में अध्यक्ष रहे। 
-अभयजी 2004 में भारतीय प्रेस परिषद के लिए मनोनीत किए गए, जिसका कार्यकाल 3 वर्ष रहा। 
-उन्हें 1986 का पहला श्रीकांत वर्मा राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया। 
-वे दुनिया के कई महत्त्वपूर्ण देशों की यात्रा कर चुके हैं जिनमें सोवियत संघ, जर्मनी, फ्रांस, जॉर्डन, यूगोस्लाविया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, थाईलैंड, इंडोनेशिया, तुर्की, स्पेन, चीन आदि शामिल हैं। 
-1995 में मप्र क्रीड़ा परिषद के अध्यक्ष बने। ऑर्गनाइजेशन ऑफ अंडरस्टैंडिंग एंड फ्रेटरनिटी द्वारा वर्ष 1984 का गणेश शंकर विद्यार्थी सद्भावना अवॉर्ड वर्ष 1986 में राजीव गाँधी ने प्रदान किया। 
-पत्रकारिता में विशेष योगदान के लिए उन्हें वर्ष 1997 में जायन्ट्स इंटरनेशनल पुरस्कार तथा इंदिरा गाँधी प्रियदर्शिनी पुरस्कार प्रदान किया गया। 
-छजलानी को इंदौर में इंडोर स्टेडियम अभय प्रशाल स्थापित करने के लिए भोपाल के माधवराव सप्रे समाचार पत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान ने सम्मानित किया गया। 
-उन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय योगदान के लिए ऑल इंडिया एचीवर्स कॉन्फ्रेंस ने दिल्ली में 1998 में राष्ट्रीय गौरव पुरस्कार प्रदान किया गया।
-वे लालबाग ट्रस्ट इंदौर के अध्यक्ष भी रहे।
 
मध्यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्‍वीट कर कहा, वरिष्ठ पत्रकार, पद्मश्री अभय छजलानी जी के निधन का दुखद समाचार प्राप्त हुआ। आपका अवसान पत्रकारिता जगत की अपूरणीय क्षति है। ईश्वर से दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान और परिजनों को यह गहन दु:ख सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना करता हूं। ।।ॐ शांति।।

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्वीट कर कहा, मेरे परिवार समान, पद्मश्री से अलंकृत मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार श्री अभय छजलानी के निधन के समाचार से स्तब्ध हूं। भगवान उन्हें वैकुण्ठ धाम में स्थान दे और उनके परिजनों और प्रशंसकों को इस आघात को सहने की शक्ति प्रदान करें। मेरी संवेदनाएं। ॐ शांति।

कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा, पत्रकारिता जगत की विशिष्ट पहचान पद्मश्री अभय छजलानी जी के निधन का दुखद समाचार प्राप्त हुआ है। मैं दिवंगत आत्मा की शांति एवं परिजनों को यह असीम दुख सहने की शक्ति देने की प्रार्थना करता हूं। हिन्दी पत्रकारिता के आधारस्तंभ छजलानी जी हमेशा हमारे दिलों में रहेंगे। “भावपूर्ण नमन”

 

वरिष्‍ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर कहा, पत्रकारिता के कीर्ति स्तंभ रहे अभय छजलानी जी नहीं रहे। इंदौर के मित्रों से यह जानकारी मिली। मैं एक निजी मित्र के रूप में उनसे लंबे अरसे से जुड़ा रहा। पत्रकारिता के अलावा वे प्रखर सामाजिक-राजनीतिक सक्रियता के लिए भी हमेशा याद किए जाएंगे। ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें!

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