Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

सत्यपाल सिंह ने ठुकराया डार्विन का सिद्धांत, मेरे पूर्वज नहीं थे बंदर

हमें फॉलो करें सत्यपाल सिंह ने ठुकराया डार्विन का सिद्धांत, मेरे पूर्वज नहीं थे बंदर
नई दिल्ली , रविवार, 1 जुलाई 2018 (09:26 IST)
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह ने फिर दावा किया कि मानव के क्रमिक विकास का चार्ल्स डार्विन का सिद्धांत वैज्ञानिक रूप से गलत है। मंत्री ने यह भी कहा कि विज्ञान के छात्र के तौर पर उनका मानना है कि उनके पूर्वज बंदर नहीं थे। 
 
मानव संसाधन विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री सिंह ने उनकी टिप्पणियों के लिए उन पर हमला बोलने वालों पर निशाना साधते हुए कहा, 'किसी अन्य व्यक्ति के नजरिये की निंदा करना वैज्ञानिक भावना नहीं है।'
 
एक पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में सिंह ने कहा, 'मैं विज्ञान का छात्र हूं और मैंने रसायन - शास्त्र में पीएचडी की है। मेरे खिलाफ बोलने वाले लोग कौन थे? और कितने लोगों ने मेरा साथ दिया? हमें इस पर मंथन करना चाहिए। हम प्रेस से डर जाते हैं। आज नहीं तो कल। कल नहीं तो 10-20 साल में, लोग मेरी कही गई बातें स्वीकार करेंगे। कम से कम मेरा मानना है कि मेरे पूर्वज कपि (बंदर) नहीं थे।' 
 
केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'किसी अन्य व्यक्ति के नजरिये की निंदा करना वैज्ञानिक भावना नहीं है। इस पर सोचा जाना चाहिए।'
 
मुंबई के पुलिस आयुक्त रह चुके सिंह ने कुछ महीने पहले मानव के क्रमिक विकास के चार्ल्स डार्विन के सिद्धांत को गलत करार दिया था और कहा था कि स्कूलों एवं कॉलेजों के पाठ्यक्रम में यह बदलाव नजर आने चाहिए। इस पर विभिन्न वर्गों ने सिंह की आलोचना की थी। 
 
पूर्व आईपीएस अधिकारी ने कहा कि उन्हें शिक्षित राजनेता होने पर गर्व है और देश का सौभाग्य है कि राष्ट्रवादी मानसिकता की एक राष्ट्रवादी सरकार शासन में है।
 
उन्होंने कहा कि विदेशों के 99 फीसदी विश्वविद्यालय हिंदू धर्म की गलत व्याख्या करते हैं, गलत अनुवाद करते हैं।
 
सिंह ने कहा, 'मैं एक किताब लिख रहा हूं। इस पर एक अध्याय होगा। हम किसी पश्चिमी देश के व्यक्ति से मदद नहीं लेंगे। हम साक्ष्य और दस्तावेजी प्रमाण देंगे। हम साबित करेंगे कि हम जो कह रहे हैं वह सही है। क्या हमारे किसी साधु - संत ने इंग्लैंड के किसी प्रोफेसर को अपनी बातें सत्यापित करने के लिए कही थी?'
 
उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी भूल यह थी कि भारत ने अंग्रेजों की शैक्षणिक प्रणाली और मानसिकता का पालन करना जारी रखा। (भाषा) 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

पांचवीं बार बढ़ी पैन से आधार को जोड़ने की समयसीमा, अब मार्च 2019 तक करें यह काम