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सरदार सरोवर मुद्दे पर याचिका सुनेंगे मुख्य न्यायाधीश

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, मंगलवार, 1 अगस्त 2017 (00:30 IST)
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को नर्मदा घाटी से प्रभावित लोगों से सम्बंधित दो याचिकाओं पर सुनवाई हुई। न्यायाधीश रोहिनटन नरीमन व संजय किशन कौल की पीठ ने याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए उन्हें मुख्य न्यायाधीश के समक्ष जाने को कहा। 
 
दो याचिकाओं में एक याचिका हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ SLP है और दूसरी पुनर्वास के सवाल पर जनहित याचिका है, जिसे न्यायाधीश पानचंद जैन, अरुणा रॉय, कुलदीप नायर, हन्नान मोल्लाह, एनी राजा, सौम्या दत्ता, जो इससे पहले कई बार नर्मदा घाटी जा चुके है और वहां की यथास्थिति से अवगत हैं, उन्होंने दाखिल की है।
 
अधिवक्ता संजय पारिख व प्रशांत भूषण ने याचिका को मुख्य न्यायाधीश के सामने रखा और विस्तार से नर्मदा घाटी के पुनर्वास स्थलों, टिन शेड्स और सुविधाओं की कमी के बारे में चित्र दिखाए और बताया। मुख्य न्यायाधीश जे. एस. केहर ने सभी बातों को सुनते हुए याचिका को 8 अगस्त के दिन तीन न्यायाधीश की पीठ के सामने सुनने को मंजूरी दी।
 
इसके साथ ही सरदार सरोवर प्रभावितों से सम्बंधित मामले सुप्रीम कोर्ट में दुबारा सुने जाएंगे। नर्मदा बचाओ आन्दोलन मध्यप्रदेश सरकार से उम्मीद करती है कि जब न्यायाधीश केहर याचिका को एक बार फिर सुन रहे हैं तो सरकार प्रभावितों को बिना सम्पूर्ण पुनर्वास जबरन बेदखली न करते हुए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व फैसले के अन्य भाग पर ध्यान देते हुए सभी लोगों के मुआवजे पर ध्यान देगी, पुनर्वास स्थलों में भी सुविधाएं पक्की करेगी और भूमिहीनों के वैकल्पिक आजीविका पर विशेष ध्यान देगी।
 
उधर बड़वानी (मध्यप्रदेश) नर्मदा घाटी में अनिश्चितकालीन उपवास आज पांचवें दिन में पहुँच चुका है, अभी भी 12 नर्मदा घाटी के लोग और मेधा पाटकर अनवरत बिना सम्पूर्ण और न्यायपूर्ण पुनर्वास के सरकार द्वारा गैर कानूनी डूब का विरोध करते हुए उपवास पर बैठे हैं।
 
31 जुलाई, 2017 के दिन जब सरकार अपना दमखम दिखाते हुए लोगों को घाटी से जबरन निकालने वाली थी तो लोगों ने बड़वानी में राजघाट पुल और कसरावद पुल पर चक्काजाम किया और सीधा-सीधा संकेत दिया कि बिना पुनर्वास वो घाटी से टस से मस नहीं होंगे। घाटी के लोगों ने कहा, सरकार चाहे 1500 की पुलिसबल की टुकड़ी ले आए या 15,000 की, जब तक हमें सम्पूर्ण और न्यायपूर्ण पुनर्वास नहीं मिल जाता, हम सरकार द्वारा जलहत्या कबूल कर लेंगे, लेकिन हटेंगे नहीं।
 
दिल्ली में सोमवार को स्वराज इंडिया के साथियों ने नर्मदा घाटी में बिना पुनर्वास डूब के खिलाफ एक दिन का उपवास रखा और शाम में कैंडल मार्च निकाला। उपवास के दौरान नर्मदा के कई वरिष्ठ साथी धरने स्थल पर पहुंचे और नर्मदा बचाओ आन्दोलन के इतिहास और उपलब्धियों पर विस्तार से बताते हुए आज 40000 से अधिक परिवारों को जलहत्या देने पर उतारू सरकार व पूरी स्थिति के बारे में लोगों को बताया। 
 
विमल भाई ने शुरुआत करते हुए नर्मदा बचाओ आन्दोलन कैसे शुरू हुआ और पिछले 32 वर्षों में हासिल हुई उपलब्धियों के बारे में बताया। योगेन्द्र यादव ने समर्थन जाहिर करते हुए नर्मदा में संघर्षरत साथियों को पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत बताया।
 
इसके बाद डॉ. सुनीलम, राजेंद्र रवि, भूपेंद्र सिंह रावत, सीपीआईएम से रामचंद्रन जी, पर्यावरणविद सौम्य दत्ता, मधुरेश कुमार, उत्तराखंड से परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पी. सी. तिवारी जी व आम आदमी पार्टी के विधायक पंकज पुष्कर ने भी समर्थन में बात रखी। सुप्रीम कोर्ट के जनहित याचिका पर 8 अगस्त को सुनवाई करने की सूचना के बारे में भी बताया गया। 
 
इसी बीच मेधा पाटकर ने बड़वानी से फोन पर बात करते हुए लोगों से अपील की व वहां की वास्तविक स्थिति से अवगत कराया। पुलिस बल बढ़ता जा रहा है। घाटी में और किसी भी वक़्त जबरन बेदखली और गिरफ्तारी कर देश-प्रदेश के इतिहास में आपातकाल की स्थिति ला सकती है सरकार। 
 
सभा में सांसद धर्मवीर गाँधी और राजू शेट्टी भी पहुंचे और अपना समर्थन घाटी के लोगों के साथ व्यक्त किया और अपील किया सरकार से कि राजनीतिक फायदे के लिए एक घाटी की बलि ना चढ़ाएं, जहाँ अभी भी 40000 से ज्यादा परिवार बिना पुनर्वास के रह रहे हैं। 
 
सरदार सरोवर के गेट्स फ़ौरन खोले जाए और एक सरकार द्वारा गढ़ित मानवीय त्रासदी को रोका जाए। सरकार द्वारा राजघाट में गाँधी समाधि के तोड़े जाने के विरोध में विमल भाई ने धरने स्थल पर चरखा चलाकर सरकार की करतूत का विरोध किया।

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