नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सरदार सरोवर बांध परियोजना के विस्थापित परिवारों के पुनर्वास की अंतिम तारीख बढ़ाने से मंगलवार को इंकार कर दिया।
न्यायालय ने संबंधित याचिका की सुनवाई के दौरान अपने पूर्व के उस आदेश में संशोधन से इन्कार कर दिया, जिसके तहत विस्थापित परिवारों को शेष इलाका खाली करने के लिए 31 जुलाई तक की मोहलत दी गई थी।
नर्मदा बचाओ आंदोलन की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया था कि इस मामले में 40 हजार परिवार प्रभावित हैं और 192 गांव शामिल हैं। अधिकांश विस्थापितों को वैकल्पिक जगह नहीं मिली है और ऐसे में प्रशासन इन लोगों को टीन शेड में रख रहा है, जहां के हालात ठीक नहीं हैं। ऐसे में इन लोगों को और वक्त मिलना चाहिए, ताकि वे सही तरीके से दूसरी जगहों पर जा सकें।
याचिका में कहा गया था कि इन लोगों को कुल 18 महीने का वक्त दिए जाने का नियम बनाया गया था, जिसमें दूसरी जगह शिफ्ट होने के बाद पानी छोड़ने के लिए भी छह महीने का वक्त दिए जाने के लिए कहा गया था, ताकि लोग बचे हुए सामान को भी निकाल सकें।
दूसरी ओर मध्यप्रदेश सरकार की ओर से अधिवक्ता तुषार मेहता ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि सरकार ने विस्थापितों को पहले ही काफी समय दिया है और वह उनके पुनर्वास के पूरे इंतजाम कर रही है। अधिकांश लोगों का पुनर्वास कर दिया गया है और मुआवजा भी दे दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की सुनवाई के बाद विस्थापितों के लिए राहत की समय सीमा में वृद्धि करने से इंकार कर दिया। (वार्ता)